logo-image

इलेक्टोरल बॉन्ड आम सहमति के बगैर भी किया जाएगा लागू: जेटली

सरकार ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के मसले पर अगर आम सहमति नहीं भी बनी तो भी इसे लागू किया जाएगा।

Updated on: 24 Jul 2017, 08:19 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार राजनीतिक दलों की फंडिग (पॉलिटिकल फंडिंग) व्यवस्था में सुधार लाने के लिए को लेकर कड़ा रवैया अपनाएगी। सरकार ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के मसले पर अगर आम सहमति नहीं भी बनी तो भी इसे लागू किया जाएगा। अभी तक सरकार के पास इस संबंध में राजनीतिक दलों की तरफ से कोई सुझाव नहीं आया है।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कैश डोनेशन की प्रक्रिया को बदलना है और इसकी जानकारी होने के बादजूद भी सुझाव देने में उदासीनता बरती जा रही है।

उन्होंने कहा, 'अगर सुझाव नहीं आता है और इस संबंध में आम सहमति नहीं बन पाती है तो सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं भागेगी। इस बारे में फैसला लेना ही होगा और इसे कानून के रूप में लाया जाएगा।'

चुनावों में कालेधन के उपयोग पर रोक लगाने के लिये एक बड़े फैसले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की सीमा 2000 रुपए कर दी थी। उससे अधिक पर उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड लाने का सुझाव दिया था और सभी राजनीतिक दलों से सुझाव भी मांगा था।

और पढ़ें: शिवसेना ने पूछा, चीन-पाक के खिलाफ कोई देश समर्थन में क्यों नहीं?

इनकम टैक्स दिवस पर जेटली ने कहा, 'मुझे लगता है आज के बदलते भारत में इस फैसले को एक बडा समर्थन मिलेगा।'

चंदे के लिये इलेक्टोरल बॉन्ड लागू होने पर ये बॉन्ड नोटिफाइड बैंक के जरिए जारी होंगे। इस बॉन्ड को फंड देने वाला किसी भी राजनीतिक दल के लिए खरीद सकता है या राजनीतिक दल को गिफ्ट कर सकता है। फंड देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जा सकती है लेकिन दलों को बॉन्ड तो मिलेगा लेकिन उन्हें ये नहीं पता चलेगा कि उनके पास किसने भेजा है।

और पढ़ें: सीमा पर तनाव के बीच भारत-चीन के NSA कर सकते हैं द्विपक्षीय बातचीत