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नरेंद्र मोदी सरकार फारुक-उमर पर मेहरबान, फिर महबूबा मुफ्ती से किस बात की नाराजगी !

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की सार्वजनिक सुरक्षा कानून (PCA) के तहत तीन महीने के लिए हिरासत और बढ़ाए जाने से केंद्र और राज्य के बीच तनातनी और बढ़ गई है.

Updated on: 06 May 2020, 07:31 AM

highlights

  • महबूबा मुफ्ती की तीन महीने हिरासत बढ़ाई जाने से रार बढ़ी.
  • मोदी सरकार पर जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने साधा निशाना.
  • उमर ने क्रूर और राज्य को पीछे धकेलने वाला फैसला बताया.

नई दिल्ली:

पीडीपी (PDP) नेता और जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की सार्वजनिक सुरक्षा कानून (PCA) के तहत तीन महीने के लिए हिरासत और बढ़ाए जाने से केंद्र और राज्य के बीच तनातनी और बढ़ गई है. इसकी मूल वजह यही है कि मोदी सरकार (PM Narendra Modi) ने विगत दिनों दोनों अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक और उमर अब्दुल्ला को लंबी हिरासत के बाद रिहा कर दिया था. ऐसे में महबूबा मुफ्ती की हिरासत बढ़ाया जाना स्थानीय नेताओं के गले नहीं उतर रहा है. उमर अब्दुल्ला ने तो इस घटनाक्रम को राज्य को पीछे धकेलने वाला करार देते हुए एक क्रूर फैसला बताया है. इसके साथ ही अन्य नेताओं ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए मंशा पर सवाल खड़े किए हैं.

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5 अगस्त 2019 से बंद हैं मुफ्ती
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के विरुद्ध सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत उनकी हिरासत की मियाद तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई. यह तब है, जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक-उमर अब्दुल्ला समेत कई अन्य समकक्ष नेताओं को केंद्र सरकार पहले रिहा कर चुकी है. पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ ही राज्य के तमाम बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था. पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता और मुफ्ती के रिश्तेदार सरताज मदनी की हिरासत भी तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई है.

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उमर ने बताया क्रूर फैसला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने को अविश्वसनीय रुप से क्रूर और राज्य को पीछे की ओर धकेलने वाला फैसला बताया है. उमर ने ट्वीट किया, 'महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने का फैसला अविश्वसनीय रूप से क्रूर और पीछे ले जाने वाला है. मुफ्ती ने ऐसा कुछ भी किया या कहा नहीं है जिससे भारत सरकार द्वारा उनके और हिरासत में लिए गए अन्य लोगों के साथ इस व्यवहार को सही ठहराया जा सके.' उमर ने कहा, 'लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के दावे करने वाली सरकार द्वारा सुश्री मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाना इस बात का सबूत है कि मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर को दशकों पीछे धकेल दिया है.'

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अप्रैल में हुई थी पीएसए के तहत गिरफ्तारी
पीएसए के तहत हिरासत की अवधि समाप्त होने के कुछ घंटे पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग ने मुफ्ती की हिरासत बढ़ाए जाने से संबंधित एक संक्षिप्त आदेश जारी किया. पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किए जाने के बाद पांच अगस्त को मुफ्ती को हिरासत में लिया गया था. दो 'उप-जेलों' में आठ महीने हिरासत में रहने के बाद मुफ्ती को सात अप्रैल को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था. मुफ्ती पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष हैं. शुरुआत में उन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. बाद में इस साल पांच फरवरी को उन पर जन सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी.

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महबूबा की बेटी कर चुकी है केंद्र से गुजारिश
महबूबा की बेटी इल्तिजा ने अपनी मां को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में फरवरी में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. न्यायालय ने सुनवाई के लिए 18 मार्च की तारीख तय की थी लेकिन कोरोना वायरस फैलने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई. पीएसए के तहत हिरासत में ली गईं पूर्व मुख्यमंत्री को प्रारंभ में श्रीनगर के हरि निवास अतिथि गृह में रखा गया और बाद में उन्हें चश्मा शाही इलाके में पर्यटन विभाग के एक हट में ले जाया गया. वहां से उन्हें श्रीनगर में ट्रांसपोट यार्ड लेन स्थित एक सरकारी क्वोर्टर में ले जाया गया. उसके बाद सात अप्रैल को उन्हें गुपकर रोड स्थित सरकारी अवास में शिफ्ट कर दिया गया.