मोदी सरकार SC, ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण की मांग पर कर रही है विचार, जल्द आ सकता है फ़ैसला
राजनीतिक रूप से सरकार का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
नई दिल्ली:
लंबे समय से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सरकारी नौकरी में चल रही प्रमोशन में आरक्षण की मांग अब पूरी होने वाली है। सूत्रों की माने तो बहुत जल्द ही मोदी सरकार प्रमोशन में आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है। राजनीतिक रूप से सरकार का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
सरकार का मानना है कि सभी विभागों में खासतौर पर निचले कैडर में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों के लिए तय सीमा तक आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) ने अपनी एक रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बराबर के मौके मुहैया कराने और समावेशी विकास के लिए एससी और एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण जारी रखना जरूरी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार के कई कैडर में एससी और एसटी वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी संविधान में उनके लिए तय सीमा से भी कम है। इसलिए जब तक आरक्षण तय सीमा तक न पहुंच जाये, उन्हें यह लाभ मिलते रहना चाहिए।
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इस समय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में एससी और एसटी के लिए 15 फीसद और 7.5 फीसद का कोटा ही पूरा नहीं हो पा रहा है। संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे।
बता दें कि 2006 में एम नागराजन केस में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के फैसले के आधार पर प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ कई न्यायिक आदेश पास हुए थे। जिसके बाद इस मामले पर पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में मार्च 2016 में एक बैठक हुई। बैठक के बाद डीओपीटी से एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया।
डीओपीटी की रिर्पोट के मुताबिक, कोटा पॉलिसी के तहत तयशुदा एसी का 15 प्रतिशत और एसटी का 7.5 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का लक्ष्य कई विभागों में हासिल ही नहीं किया जा सका। अटॉर्नी जनरल से मशविरा करके तैयार की गई यह रिपोर्ट कहती है कि विकास के पैरामीटर पर एससी, एसटी समुदाय के लोग आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक तौर पर अन्य समूहों से काफी पीछे हैं। रिपोर्ट कहती है कि इनकी तरक्की के लिए सकारात्मक ऐक्शन लिए जाने की जरूरत है।
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इस रिपोर्ट को मोदी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से निपटने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। देश के विभिन्न अदालतों के फैसलों ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एससी, एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देना मुश्किल बना दिया है। ऐसे ही कई न्यायिक फैसलों और बीएसपी जैसी पार्टियों के दबाव के चलते यूपीए सरकार ने संविधान में 117वें संशोधन का बिल 2012 में पेश में किया, लेकिन यह संसद में पास नहीं हो सका।
मंगलवार को कार्मिक विभाग ने इस मसले के लिए बनी मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति (गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, विधि एवं न्याय मंत्री, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री, आदिवासी कार्य मंत्रालय और कार्मिक विभाग के राज्य मंत्री) के सामने एक प्रजेंटेशन दिया।
मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति से प्रमोशन में आरक्षण पर मुहर लगते ही प्रस्ताव मंत्रिमंडल के भेजा पास जाएगा। आरक्षण लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसलिए इससे संबंधित विधेयक पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेनी होगी। इसके बाद संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा।
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