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PDP-BJP सरकार की नाक के नीचे पाकिस्तान और सऊदी के चैनल कश्मीरियों के दिल में भर रहे हैं भारत विरोधी राग

अधिकारी मे कहा, 'लिखित शिकायत मिलने पर ही मंत्रालय करेगा कार्रवाई।'

Updated on: 05 May 2017, 02:48 PM

highlights

  • कश्मीर में प्राइवेट केबल नेटवर्क के जरिए सऊदी और पाकिस्तान के 50 से ज्यादा चैनल चलते हैं।
  • इनमें जाकिर नाइक का प्रतिबंधित चैनल 'पीस टीवी' भी शामिल है।
  • घाटी में पत्थरबाजी और हिंसा के लिए उकसाने में इनकी बड़ी भूमिका है।

नई दिल्ली:

सऊदी के मौलाना और पाकिस्तान के न्यूज़ एंकर टीवी के ज़रिये कश्मीर घाटी के लोगों के घर में घुसकर पत्थरबाज़ी और 'आज़ादी' मूवमेंट के लिए उकसा रहे हैं।

50 से ज़्यादा सऊदी और पाकिस्तानी चैनल समेत उपदेशक ज़ाकिर नाइक के प्रतिबंधित चैनल पीस टीवी बिना किसी सरकारी क्लियरेंस के प्राइवेट केबल नेटवर्क के ज़रिए भारत विरोधी अभियान चला रहे हैं।

सबसे अचरज की बात ये है कि सब कुछ PDP-BJP सरकार के नाक के नीचे हो रहा है। कई जगहों पर तो इन केबल ऑपरेटर्स के ऑफिस भी सरकारी इमारतों में हैं।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ कश्मीर में टाटा स्काई, एयरटेल डिजीटल टीवी और डिश टीवी जैसे सैटलाइट सर्विस प्रवाइडर्स के होने के बावजूद ज्यादातर लोग प्राइवेट केबल को प्राथमिकता देते हैं।

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वहीं केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इस घटना पर अपनी अनभिज्ञता ज़ाहिर करते हुए कहा है, ' अगर ये रिपोर्ट सच है तो ज़िला कलेक्टर इस मामले में कार्रवाई कर सकते हैं और केबल कनेक्शन ज़ब्त कर सकते हैं।'

एक केबल ऑपरेटर ने अपना नाम ज़ाहिर नहीं होने की शर्त पर बताया कि अकेले श्रीनगर में ही 50,000 से ज्यादा केबल कनेक्शन हैं और इसकी ख़ास वजह यह है कि इन केबलों पर पाकिस्तानी और सऊदी चैनल्स दिखाये जाते हैं।

जाकिर नाइक के पीस टीवी के अलावा प्राइवेट ऑपरेटर्स सऊदी सुन्नाह, सऊदी कुरान, अल अरेबिया, पैगाम, हिदायत, नूर, मदानी, सहर, कर्बला, अहलीबात, फलक, जियो न्यूज, डॉन न्यूज जैसे पाकिस्तानी और सऊदी चैनल भी चलाते हैं। इनमें से कोई भी चैनल देश के बाकी हिस्सों में नहीं दिखाए जाते हैं। सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से इन चैनलों पर रोक लगाई गई है।

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मंत्रालय के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है, 'जम्मू-कश्मीर के साथ देश के किसी भी हिस्से में बिना सूचना प्रसारण मंत्रालय की अनुमति के कोई चैनल नहीं प्रसारित किया जा सकता है। मंत्रालय की वेबसाइट पर इन चैनलों के नाम अनुमति वाली लिस्ट में नहीं हैं। किसी चैनल का फ्री प्रसारण करने के लिए भी मंत्रालय से इजाजत लेनी जरूरी होती है।'

उन्होंने कहा कि इसकी लिखित शिकायत मिलने के बाद मंत्रालय इसपर कार्रवाई करेगा।

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