56 के हुए धर्मेंद्र प्रधान : पीएम मोदी ने दी बधाई, बोले- उनके प्रयासों से युवा शक्ति को मिल रहा बहुत लाभ
Breaking News LIVE: आज आईएसएस पर लैंड कर जाएंगे शुभांशु शुक्ला, शाम करीब 4.30 बजे होगी लैंडिंग
मध्य प्रदेश में अवैध निर्माण बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं : मंत्री विश्वास सारंग
SCO Meeting: चीन में राजनाथ सिंह ने उसके बेस्ट फ्रेंड की क्लास लगाई, इन-इन मुद्दों पर रखा पक्ष
अमरनाथ यात्रा: श्रद्धालुओं के लिए उधमपुर में बनाए गए लॉजमेंट सेंटर्स, मिलेगी हर सुविधा
मेक्सिको: स्ट्रीट फेस्टिवल के दौरान गोलीबारी, 12 की मौत, 20 घायल
सूर्यकुमार यादव की हॉस्पिटल से आई ये तस्वीर, फैंस के बीच मची हलचल, जानें क्या है कहानी
Iran-Israel War LIVE: नाटो समिट में ट्रंप बोले- युद्ध में ईरान ने बहादुरी दिखाई, दो दिनों के दौरे पर चीन गए ईरानी मंत्री विदेश
शरीर को डिटॉक्स करता है भस्त्रिका प्राणायाम, मोटापा घटाने में भी कारगर

इतिहासकार का आरोप, औसत दर्जे के लोगों को संस्थानों में भर रही है मोदी सरकार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सेंटर ऑफ हिस्टॉरिकल स्टडीज के प्रोफेसर नजफ हैदर ने बताया कि दो तरह से इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सेंटर ऑफ हिस्टॉरिकल स्टडीज के प्रोफेसर नजफ हैदर ने बताया कि दो तरह से इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है.

author-image
abhiranjan kumar
एडिट
New Update
इतिहासकार का आरोप, औसत दर्जे के लोगों को संस्थानों में भर रही है मोदी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

पेशेवर इतिहासकारों का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा दोबारा इतिहास लिखा जा रहा है. नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी (एनएमएमएल) में शनिवार को आरंभ हुए दो दिवसीय अखिल भारतीय इतिहास सम्मेलन में प्रमुख इतिहासकारों ने दावे के साथ कहा कि देश के प्रमुख संस्थानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक को प्रश्रय देने वाले औसत दर्जे के लोगों को भरा जा रहा है. उन्होंने आशंका जताई कि इससे देश में शैक्षणिक संवाद को क्षति पहुंचेगी.

Advertisment

बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं और इतिहासकारों का आरोप है कि इतिहास को दोबारा लिखने का प्रयास किया जा रहा है. इस आरोप के संबंध में पूछे जाने पर शैक्षणिक अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र (सीईआरटी) के निदेशक तौसीफ मडिकेरी ने आरोप को सही ठहराया और कहा, 'इसको लेकर कोई सवाल नहीं है.'

मडिकेरी ने सम्मेलन से इतर आईएएनएस से बातचीत में कहा, 'हिंदुत्व सेना इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश कर रही है और यह हाल की घटना नहीं है, वे लोग 1970 के दशक से ही इस कार्य को अंजाम देने की कोशिश में जुटे हैं. अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना (आरएसएस का अनुषंगी संगठन) काफी समय से इस पर काम कर रहा है. आज इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों में जो बदलाव हम देख रहे हैं वह पहले की ही बात है, लेकिन अब उसको अमल में लाया जा रहा है.'

उन्होंने कहा, 'भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) पर अब उनका नियंत्रण है और वे अपने लोगों को विश्वविद्यालयों में भर रहे हैं. इसलिए आरएसएस जो करना चाहता था उसे अब पिछले चार साल से अमलीजामा पहनाया जा रहा है. अब अनुसंधान समाप्त हो गया है और हमारे संस्थानों में शीर्ष पदों पर नियुक्त औसत दर्जे के इतिहासकार परिवर्तन को लागू कर रहे हैं.'

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सेंटर ऑफ हिस्टॉरिकल स्टडीज के प्रोफेसर नजफ हैदर ने बताया कि दो तरह से इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है.

हैदर ने आईएएनएस को बताया, 'यह एक बहाना है कि पाठ्यक्रम को संक्षिप्त किया जाना चाहिए और विषय-वस्तु को कम किया जाना चाहिए. फिर इतिहास के पाठ्यक्रमों को बदला जा रहा है. आपको चयन करना पड़ता है, इसलिए आपको विषय-वस्तुओं को हटाना पड़ता है, लेकिन जब आप हटाते तो आपको एक एजेंडा के तहत हटाना होता है.'

उन्होंने कहा कि इतिहास को दोबारा लिखने का दूसरा तरीका इतिहास पर बहस करना है.

इसे भी पढ़ेंः राफेल, रुपया, तेल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राहुल गांधी का हमला

उन्होंने कहा, 'इतिहास के स्थापित तथ्यों का विरोध किया जा रहा है और बिना किसी साक्ष्य या आधार के नए तथ्य दिए जा रहे हैं. साक्ष्य काफी महत्वपूर्ण होता है. बगैर साक्ष्य के बयान देने की प्रवृत्ति बन गई है और इतिहास में साक्ष्य अटूट होता है. बिना साक्ष्य के आप कुछ नहीं कह सकते हैं.'

हैदराबाद स्थित अध्ययन व अनुसंधान केंद्र (सीएसआर) और स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसआईओ) के सहयोग से सीईआरटी द्वारा अखिल भारतीय इतिहास सम्मेलन का आयोजन किया गया है. सम्मेलन का समापन रविवार को होगा.

Source : IANS

Modi Government historians Institutions
      
Advertisment