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मोदी सरकार आर्थिक असुरक्षा मिटाने के लिए कर रही काम: राष्ट्रपति कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि सरकार गरीबों, किसानों और वरिष्ठ नागरिकों के बीच आर्थिक असुरक्षा की भावना समाप्त करने के लिए 'सक्रिय रूप से और संवेदनशीलता' के साथ काम कर रही है।

Updated on: 29 Jan 2018, 11:06 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि सरकार गरीबों, किसानों और वरिष्ठ नागरिकों के बीच आर्थिक असुरक्षा की भावना समाप्त करने के लिए 'सक्रिय रूप से और संवेदनशीलता' के साथ काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सरकार आम लोगों के जीवनयापन को सरल बनाने के लिए भी काम कर रही है। बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'संविधान की भावना के अनुरूप, केंद्र सरकार सामाजिक न्याय और आर्थिक लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है और आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाने का प्रयास कर रही है।'

कोविंद ने कहा कि उनकी सरकार की 'सर्वोच्च प्राथमिकता' किसानों को होने वाली कई परेशानियों को समाप्त करना और उनके जीवनस्तर को उठाना है। सरकार की योजनाओं का उद्देश्य किसानों द्वारा कृषि कार्यो में किए जाने वाले खर्च को भी कम करना है।

राष्ट्रपति ने कहा, "सरकार की नीतियों और किसानों के कड़े परिश्रम की वजह से देश में अनाजों का रिकॉर्ड 27.5 करोड़ टन और फलों व सब्जियों का 30 करोड़ टन उत्पादन हुआ है।"

उन्होंने कहा, "किसानों को दी जाने वाली 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के अंतर्गत सस्ती और आसान फसल बीमा सेवा उपलब्ध कराई गई। वर्ष 2017 के दौरान, रबी और खरीफ फसल के लिए, 5.71 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ दिया गया।"

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राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में 'किसान संपदा योजना' का भी उल्लेख किया, जो कृषि उत्पादों के बाजार तक पहुंचने से पहले क्षति होने की स्थिति में किसानों को सुरक्षा कवर मुहैया कराता है।

उन्होंने कहा कि गोरखपुर, बरौनी, सिंदरी, तलचर और रामागुंदम में खाद संयंत्र को दोबारा खोलने के काम को काफी तेजी से किया जा रहा है।

कोविंद ने कहा, "वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत, 80 लाख वरिष्ठ नागरिक 'अटल पेंशन योजना' से लाभान्वित हुए हैं।"

राष्ट्रपति ने सभी गरीब लोगों के लिए दो समय का भोजन उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के प्रभावी तरीके से लागू कराने की जरूरत पर जोर दिया।

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