Budget 2018: GST लागू होने के बाद पेश हुआ पहला Economic Survey, जानें ये क्यों है ज़रूरी
संसद का बजट सत्र आज (29 जनवरी) से शुरू हो रहा है और 1 फरवरी को बजट पेश करेगी। आम बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है। जिससे पिछले एक साल की देश की अर्थिक स्थिति की तस्वीर देश के सामने रखी जाती है।
नई दिल्ली:
संसद का बजट सत्र आज (29 जनवरी) से शुरू हो रहा है और 1 फरवरी को बजट पेश करेगी। आम बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है। जिससे पिछले एक साल की देश की अर्थिक स्थिति की तस्वीर देश के सामने रखी जाती है।
ये आर्थिक सर्वेक्षण कई मायनों में खास होगा क्योंकि नोटबंदी के फैसले के 15 महीने और जीएसटी लागू होने के 7 महीने के बाद पेश किया जाएगा। सरकार के इन दोनों फैसलों का देश की आर्थिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा ये सर्वेक्षण इसकी भी तस्वीर पेश करेगा।
इसके अलावा अगले साल 2019 में लोकसभा चुनाव हैं और ऐसे में सरकार के लिये आर्थिक सर्वेक्षण खास होगा कि उसके फैसलों ने आम लोगों के जीवन पर कितना असर डाला है।
इसके साथ ही भविष्य का भी एक आकलन दिया जाता है और सरकार को सुझाव दिये जाते हैं कि ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाया जा सके।
आइये जानते हैं इस सर्वेक्षण से आर्थिक प्रगति से जुड़े किन बातों को संसद के ज़रिये जनता के सामने रखा जाता है? क्यों इसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
1. वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण आम बजट से ठीक पहले पेश किया जाता है। देश की अर्थव्यवस्था की ये सालाना रिपोर्ट होती है। ये अर्थव्यवस्था की आधिकारिक रिपोर्ट होती है और वित्तमंत्री इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश करते हैं।
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2. इसके ज़रिये पिछले बजट में किये गए प्रावधानों की जानकारी के साथ ही जिन क्षेत्रों में कमियां रह जाती हैं इसकी जानकारी दी जाती है।
3. देश की अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों के बारे में बताया जाता है। साथ ही सुधार के सुझाव भी दिये जाते हैं। इन सुझावों से सरकार को आर्थिक नीतियों का खाका तैयार करने में मदद भी मिलती है। इसमें वैश्विक आर्थिक परिवेश के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
4. इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) को सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं। 2018 के आर्थिक सर्वेक्षण को मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम और उनकी टीम ने तैयार किया है।
5. इकोनॉमिक सर्वे से आर्थिक विकास दर का पूर्वानुमान मिलता है और आने वाले समय में देश की आर्थिक विकास की गति के बारे में जानकारी देता है। इस दस्तावेज से पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था तेज रहेगी या धीमी।
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6. आर्थिक सर्वे के जरिए देश की आर्थिक नीतियों में बदलाव के सुझाव भी दिये जाते हैं। ये सुझाव कई बार काफी विस्तार में होता है।
7. दरअसल ये सालभर में अर्थव्यवस्था में हुए घटनाक्रमों की समीक्षा करता है। सरकार के विकास कार्यक्रमों में क्या प्रगति हुई है उसकी पूरी जानकारी देता है।
8. आर्थिक सर्वे के जरिये जो सुझाव दिये जाते हैं ज़रूरी नहीं है कि सरकार उन सुझावों को माने। सरकार इसके कुछ सुझावों को मान भी सकती है और चाहे तो पूरी तरह से खारिज भी कर सकती है।
9. लेकिन इससे सरकार को अर्थव्यवस्था को लेकर नीतियों और उसकी दिशा को तय करने में मदद मिलती है। कई बार ये सुझाव सरकार की पिछली नीतियों से एकदम अलग होते हैं।
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