कैबिनेट फेरबदल: 'गुड गवर्नेंस' पर निगाह, 'मिशन 2019' पर निशाना
पीएम मोदी के इस कैबिनेट विस्तार का एजेंडा ना सिर्फ सरकार के काम-काज को तेज करने का है बल्कि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाना भी है।
highlights
- कैबिनेट विस्तार में पीएम मोदी ने रखा हर समीकरण का ख्याल
- विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर दिया मंत्री पद
नई दिल्ली:
मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार में आज 9 नए मंत्रियों को शामिल किया है जबकि चार मंत्रियों को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया।
पीएम मोदी के इस कैबिनेट विस्तार का एजेंडा ना सिर्फ सरकार के काम-काज को तेज करने का है बल्कि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाना भी है।
विधानसभा चुनावों पर पीएम मोदी की नजर
धर्मेंद्र प्रधान एनडीए सरकार में पेट्रोलियम राज्य मंत्री थे जिन्हें प्रमोट कर अब कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। प्रधान ओडिशा के रहने वाले हैं और वहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी राज्य में उन्हें अपना चेहरा बना सकती है।
गरीबों को फ्री एलपीजी गैस सेवा पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत ही मिला है। बीजेपी इसे धर्मेंद्र प्रधान के साथ ही बीजेपी सरकार की उपलब्धि के तौर पर भी ओडिशा विधानसभा चुनाव में पेश कर सकती है।
2019 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ओडिशा में बीजेपी के प्रदर्शन को सुधारने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
लोकसभा चुनाव से ठीक 20 महीने पहले धर्मेंद्र प्रधान को कैबिनेट मंत्री बनाकर बीजेपी ओडिशा जैसे खाड़ी राज्य में सत्ता साधना चाहती है।
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मिशन 2019, जातीय समीकरण का रखा पूरा ख्याल
वहीं मुख्तार अब्बास नकवी को भी प्रमोशन देकर केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई है जबकि अल्फोंस कन्नान्थनाम को भी मंत्री पद दिया गया है। ये दोनों ही नेता दो अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम और ईसाई समाज से आते हैं।
ऐसे में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी अल्पसंख्यक समुदाय को बीजेपी के तरफ लुभाने की कोशिश में है। नकवी एक मात्र मुस्लिम नेता हैं जिन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली है।
कन्नान्थनाम ईसाई समुदाय से आते हैं और वो केरल के रहने वाले हैं। केरल में बीजेपी अपनी जमीन बनाने के लिए लगातार कोशिश में लगी हुई है। ऐसे में कन्नान्थनाम को मंत्री पद देना केरल में पार्टी का आधार मजबूत करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
नए कैबिनेट विस्तार में नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के जातीय समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा है। 3 ब्राह्मण शिव प्रताप शुक्ला, अश्विनी कुमार चौबे, और अनंत कुमार हेगड़े को कैबिनेट में जगह दी गई है।
वहीं दो राजपूत आरके सिंह और गजेंद्र सिंह शेखावत, एक जाट सत्यपाल सिंह और एक दलित चेहरे वीरेंद्र कुमार को मंत्रिमंडल में शामिल किया है।
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पीएम मोदी ने कैबिनेट विस्तार में अल्पसंख्यक समुदाय को साधने पर भी ध्यान दिया है। देश के तीन अल्पसंख्यक समुदाय हरदीप पुरी (सिख), कन्नान्थनाम (ईसाई) और मुख्तार अब्बास नकवी (मुस्लिम) को मंत्री बनाया गया है।
यूपी से राज्यसभा के सांसद शिवप्रताप शुक्ला को इसलिए भी केंद्र में मंत्री पद दिया गया है क्योंकि राज्य में सीएम योगी आदित्यनाथ (राजपूत) से उनके रिश्तों में कटुता आ गई थी।
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बीजेपी उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में ब्राह्मण वोट को नहीं खोना चाहती है। ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण बीजेपी के वोट बैंक का बड़ा हिस्सा है।
अश्विनी चौबे बिहार में बीजेपी के मुख्य ब्राह्मण चेहरों में से एक हैं। लेकिन उनकी वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी से नहीं बनती। यही कारण है कि उन्हें मंत्री पद दिया गया ताकि राज्य में वोट समीकरण पर दोनों के रिश्तों का असर ना पड़े।
पूर्व आईएएस रहे आरके सिंह ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे में भेदभाव करने का आरोप लगाया था। चुनाव में बीजेपी को इसका सीधा नुकसान उठाना पड़ा था।
लेकिन राजीव प्रताप रूडी से मंत्री पद छिनने के बाद बिहार में राजपूतों पर इसका नकारात्मक असर ना पड़े इसलिए ईमानदार छवि के माने जाने वाले आरके सिंह (राजपूत) को केंद्र में मंत्री पद दिया गया है।
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वही जाट समुदाय से आने वाले नेता संजीव बालियान के इस्तीफे के बाद नाराजगी ना हो इसलिए दूसरे जाट नेता सत्यपाल सिंह को बीजेपी नेतृत्व ने सरकार में शामिल करने का फैसला किया।
मध्य प्रदेश के दलित नेता वीरेंद्र कुमार को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि एमपी में अगल साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें बीजेपी किसी भी कीमत पर दलित वोटों को खिसकने नहीं देना चाहती है।
अनंत कुमार हेगड़े दक्षिणी राज्य कर्नाटक से आते हैं। उन्हें केंद्र सरकार में इसलिए शामिल किया गया है कि क्योंकि कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
हेगड़े ब्राह्मण जाति के है और प्रो हिन्दुत्ववादी बयानों के लिए वहां जाने जाते हैं। कर्नाटक में ब्राह्मणों की अच्छी खासी तादाद है।
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