सैन्य कमांडरों ने लद्दाख में स्थिति पर लगातार दूसरे दिन चर्चा की
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक सैन्य व्यवहार को ‘‘मजबूती से’’ रोकने के लिए रणनीति के तहत एक ओर जहां अतिरिक्त सैनिक और अस्त्र-शस्त्र भेजे हैं.
दिल्ली:
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक सैन्य व्यवहार को ‘‘मजबूती से’’ रोकने के लिए रणनीति के तहत एक ओर जहां अतिरिक्त सैनिक और अस्त्र-शस्त्र भेजे हैं, वहीं दूसरी तरफ सैन्य कमांडरों ने क्षेत्र में नाजुक स्थिति पर बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन चर्चा की. अधिकारियों ने बताया कि पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत की मौजूदगी को मजबूत करने के लिए सैनिकों, वाहनों और उपकरणों सहित सैन्य कुमुक भेजी गई हैं.
सैन्य कमांडरों ने बुधवार को भी तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर गहन चर्चा की थी. सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की अध्यक्षता में हो रहे सम्मेलन में जम्मू कश्मीर तथा पूर्वोत्तर के कुछ खास क्षेत्रों में आतंकवाद रोधी अभियानों पर भी चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित क्षेत्रों में आक्रामक हाव-भाव जारी रखेगी और यथास्थिति कायम होने तक पीछे नहीं हटेगी.
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सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी शक्ति बढ़ा ली है और यहां तक कि वहां तोप भी पहुंचा दी हैं. कमांडरों का सम्मेलन पहले 13 से 18 अप्रैल तक होना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इसे टाल दिया गया था. यह सम्मेलन हर साल अप्रैल और अक्टूबर में होता है. सम्मेलन का दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा. इस बीच, भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए वह चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात कर रहा है.
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साथ ही उसने यह भी कहा कि देश अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के अपने सकंल्प पर ‘‘अटल’’ है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय सैनिक सीमा प्रबंधन को लेकर बहुत जिम्मेदार रुख अपनाते हैं. पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच मई को हिंसक झड़प हुई. इसके बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी.
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