रविशंकर प्रसाद ने राइट टू प्राइवेसी पर SC के फैसले का किया स्वागत, कांग्रेस पर साधा निशाना
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार भी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानती है।
highlights
- केंद्र सरकार निजता के अधिकार मामले में SC के फैसले का स्वागत करती है
- सरकार भी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानती है
- यूपीए बिना किसी कानून के आधार को ले आई थी, हमने आधार को कानूनी जामा पहनाया
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने निजता के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर अपनी प्रसन्नता ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार फैसले का स्वागत करती है। सरकार भी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानती है।
हालांकि सुनवाई के दौरान सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि राइट टु प्राइवेसी को मूल अधिकार नहीं माना जा सकता है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डेटा की सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है और इसके लिए कानूनी उपाय किए गए हैं।
उन्होंने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि उन्होंने आधार कार्ड की सुरक्षा के लिए क्या किया था।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'यूपीए बिना किसी कानून के आधार को ले आई थी, हमने आधार को कानूनी जामा पहनाया। सुबह से हमें सिविल लिबर्टी की दुहाई दी जा रही है, वो भी बिना फैसला पढ़े। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं निजी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने क्या किया।'
Subah se humein civil liberty ki duhaai di jaa rahi hai, vo bhi bina judgement padhe: Law Minister RS Prasad #RightToPrivacy pic.twitter.com/23uB8stIRA
— ANI (@ANI) August 24, 2017
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'संविधान पीठ बनने से पहले वित्तमंत्री ने माना था कि प्राइवेसी मौलिक अधिकार है। वित्तमंत्री ने जो रुख सदन में रखा था फैसला उसी के मुताबिक आया है। सरकार की ओर से पेश AG ने भी यही बात कही थी, लेकिन कोर्ट के फैसले में बाकी मौलिक अधिकारों की तरह इसमें भी कुछ नियंत्रण हैं।'
बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार, यानी राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकारों, यानी फन्डामेंटल राइट्स का हिस्सा करार दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने माना कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और यह जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ ने एक मत से यह फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत है।' सुप्रीम कोर्ट ने 1954 और 1962 के फैसले को बदल दिया है।
यह फैसला केंद्र सरकार की आधार योजना के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसने बैंक खातों से आधार को जोड़े जाने, आयकर रिटर्न और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बना रखा है।
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वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'SC के निजता को मौलिक अधिकार देने के फैसले से व्यक्तिगत अधिकारों, निजी स्वतंत्रता औऱ मानवीय सम्मान के नए युग की शुरुआत हुई है'
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि ये फैसला तानाशाही रवैया अपनाने वालों के लिए एक बड़ा झटका है और देश के नागरिकों की जीत है।
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