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सुप्रीम कोर्ट के 9 जस्टिस ने एक मत से कहा, कहा- राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है, 10 बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में गुरुवार को कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और यह जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है।

Updated on: 24 Aug 2017, 01:57 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- निजता का अधिकार मौलिक अधिकार
  • SC ने कहा, निजता का अधिकार जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है
  • केंद्र सरकार ने कहा था, निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार नहीं है, विपक्ष ने की आलोचना

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में गुरुवार को कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और यह जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ ने एक मत से यह फैसला दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत है।' सुप्रीम कोर्ट ने 1954 और 1962 के फैसले को बदल दिया है। 

यह फैसला केंद्र सरकार की आधार योजना के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसने बैंक खातों से आधार को जोड़े जाने, आयकर रिटर्न और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बना रखा है।

10 बड़ी बातें

1. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर आधार योजना को चुनौती दी गई थी और कहा गया था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। जिसपर 9 जजों की पीठ ने फैसला सुनाया है। विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की है।

2. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, 'कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है और कहा है कि ये अनुच्छेद 21 के तहत आता है।' यह पूछने पर कि क्या इस फैसले से आधार योजना पर कोई असर होगा, भूषण ने कहा, 'यह फैसला इस बारे में कुछ नहीं कहता।'

3. भूषण ने कहा कि अगर सरकार रेलवे, एयरलाइन रिजर्वेशन के लिए भी जानकारी मांगती है तो ऐसी स्थिति में नागरिक की निजता का अधिकार माना जाएगा। उन्होंने कहा, 'आधार कार्ड को लेकर कोर्ट ने कोई फैसला नहीं लिया है। आधार कार्ड के संबंध में मामला 5 जजों की आधार बेंच के पास भेजा है।'

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4. मामले में केंद्र सरकार ने 1954 में आठ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले और 1962 में छह न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले का संदर्भ देते हुए कहा है कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि 70 के दशक के मध्य में दो या तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए कई फैसलों में निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार बताया गया था, लेकिन 1954 और 1962 में बड़ी पीठों द्वारा दिए गए फैसले इस मामले का आधार बनते हैं।

5. सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार के रुख की आलोचना करते हुए विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे बड़ी जीत बताया है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में आजादी की जीत। निजता के अधिकार को खत्म करने के मोदी सरकार के प्रयास रद्द।' वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'महत्वपूर्ण फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद।'

6. यह पूरा मामला तीन सदस्यीय पीठ द्वारा आधार योजना को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए संदर्भ से जुड़ा हुआ है।

7. मामले में मुख्य याचिकाकर्ताओं में कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के. एस. पुट्टास्वामी, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहली अध्यक्ष एवं मैग्सेसे अवार्ड विजेता शांता सिन्हा और नारीवादी शोधकर्ता कल्याणी सेन मेनन शामिल हैं।

8. पूर्व में दिए गए इन्हीं फैसलों को देखते हुए अब नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने 1954 और 1962 के फैसलों की सटीकता या त्रुटियों की जांच और निजता के अधिकार की प्रकृति- कि यह मूल अधिकार है या नहीं- की सुनवाई की है।

9. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित महाराष्ट्र और गुजरात ने जहां निजता के अधिकार को मूल अधिकार नहीं माना है, वहीं कांग्रेस शासित कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी और तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल का कहना है कि निजता का अधिकार मूल अधिकार है।

10. आधार योजना की शीर्ष नियामक संस्था भारतीय विशेष पहचान प्राधिकरण ने भी कहा है कि निजता का अधिकार मूल अधिकार नहीं है और नागरिकों से एकत्रित उनके निजी डेटा की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय मौजूद हैं।

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