Kisan Andolan: टिकरी बॉर्डर पर किसान की हार्ट अटैक से मौत, आंदोलन में अब तक करीब 40 ने गंवाई जान
आज एक और अन्नदाता की मौत हो चुकी है. दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे एक किसान की मौत हो गई है.
नई दिल्ली:
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 39 दिन हो चुके हैं. कड़ाके की ठंड और बारिश के बीच भी किसान बैठे हुए हैं. इस दौरान किसानों के मरने की खबर भी लगातार सामने आ रही हैं. आज एक और अन्नदाता की मौत हो चुकी है. दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे एक किसान की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि किसान की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई है. मृतक किसान की पहचान जींद के रहने वाले करीब 60 वर्षीय जगबीर सिंह के रूप में हुई है.
यह भी पढ़ें: किसान आंदोलन को लेकर सरकार अलर्ट: यूपी के 17 जिलों में सीनियर पुलिस अफसरों की तैनाती
जानकारी के अनुसार, जींद के ईंटल कलां निवासी किसान जगबीर सेक्टर-9 मोड़ के निकट ट्रैक्टर-ट्राली में अपने साथियों के साथ ठहरे हुए थे. वह दिन में टिकरी बॉर्डर पर किसानों की मुख्य सभा में शामिल होते थे. शनिवार रात को किसान जगबीर सिंह अन्य दिनों की तरह सोए थे, लेकिन सुबह देर तक नहीं उठे तो साथियों ने उन्हें आवाज लगाई. जवाब न मिलने पर साथी किसानों ने उन्हें हिलाकर देखा तो उनके होश उड़ गए. बाद में उन्हें पता ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने किसान जगबीर को मृत घोषित कर दिया.
उल्लेखनीय है कि पिछले 39 दिन से किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हुए हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस आंदोलन के दौरान अब तक 40 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है, किसानों ने सुसाइड किया है. यानी कि अब तक इस आंदोलन के दौरान औसतन हर दिन एक किसान ने अपनी जान गंवाई है. अगर टिकरी बॉर्डर की ही बात करें तो जहां अब तक करीब 14 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है. जिनमें 10 किसानों की मौत की मौत हृदयाघात या अन्य बीमारी से और बाकी किसानों की अलग-अलग हादसे में हुई. इन मृतक किसानों में ज्यादातर बुजुर्ग थे.
यह भी पढ़ें: कोरोना वैक्सीन पर बदल गए अखिलेश के सुर, चौतरफा घिरने के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश
औसतन हर दिन एक किसान की मौत की बाद भी किसानों का विरोध प्रदर्शन बरकरार है. इन मौतों की वजह से किसान संगठनों के अंदर सरकार के प्रति गुस्सा है तो उतना ही वह इन कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक 6 दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर उनका नतीजा अब तक शून्य रहा है. सोमवार को भी दोनों पक्षों के बीच बातचीत होने वाली है.
किसान संगठन लगातार इन कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अड़े हैं. किसानों को अपनी जमीन जाने और फसलों का सही रेट ना मिल पाने की आशंका है. हालांकि सरकार भी बार-बार किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है. सरकार इन कानूनों में संशोधन करने के लिए भी तैयार है, मगर वह इन कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है. जिससे अभी तक दिल्ली की सीमाओं पर डेडलॉक की स्थिति बनी हुई है.
यह भी पढ़ें: गाजियाबाद के श्मशान घाट में मौत का तांडव, छत गिरने से 18 मरे
सरकार भी किसान संगठनों से बार-बार अपील कर चुकी है कि ठंड के मौसम में वे आंदोलन से बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को दूर रखें. लेकिन किसान संगठनों पर इस अपील का कोई खास असर नहीं पड़ा. अभी भी आंदोलन में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. मगर सवाल यह उठता है कि आखिर किसान संगठनों कि यह कैसी जिद है, जिस कारण से बुजुर्गों की जान पर खतरा बना हुआ है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Budhwar Ke Upay: बुधवार के दिन जरूर करें लाल किताब के ये टोटके, हर बाधा होगी दूर
-
Varuthini Ekadashi 2024: कब है बरूथिनी एकादशी व्रत, जानें इसका महत्व, पूजा विधि और कथा
-
400 साल पहले 2 फीट की थी मूर्ति, अब हो गई है 12 फीट ऊंची, जानें भूफोड़ हनुमान जी की रहस्यमयी कहानी
-
Aaj Ka Panchang 24 April 2024: क्या है 24 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय