कानपुर एनकाउंटर: CO द्वारा SSP को लिखा पत्र जांच में सही पाया गया (Photo Credit: फाइल फोटो)
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर मुठभेड़ कांड के फरार मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. इसी कड़ी में सीओ बिल्हौर देवेन्द्र मिश्रा द्वारा थानाध्यक्ष चौबेपुर विनय तिवारी के खिलाफ एसएसपी को लिखा गया पत्र जांच में सही पाया गया है. जांच के लिए कानपुर भेजी गईं लखनऊ रेंज की आईजी लक्ष्मी सिंह बुधवार शाम लखनऊ (Lucknow) वापस लौट आईं और जांच रिपोर्ट डीजीपी हितेश अवस्थी को सौंप दी हैं.
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आईजी लक्ष्मी सिंह ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जांच पड़ताल और सीओ के कार्यालय के स्टाफ से पूछताछ की तो पता चला कि सीओ द्वारा एसएसपी को लिखा गया पत्र असली है. सीओ के कंप्यूटर में यह पत्र मौजूद पाया गया और इस पत्र को कार्यालय में तैनात एक महिला सिपाही ने टाइप किया था. कम्प्यूटर ऑपरेटर से लेकर स्टाफ तक ने एसएसपी को भेजे गए इस पत्र की पुष्टि की है.
आईजी लक्ष्मी सिंह ने इस प्रकरण की और गंभीरता से उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की संस्तुति भी की है. दो दिन पूर्व जब यह पत्र मीडिया में वायरल हुआ था तो एसएसपी कानपुर ने ऐसे किसी भी पत्र के कार्यालय में प्राप्त होने की जानकारी से साफ इनकार कर दिया था.
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दरअसल, सोमवार को यह पत्र सीओ की बेटी ने ही घर में मिली फाइल से निकालकर दिया था. आईजी लखनऊ लक्ष्मी सिंह को मंगलवार सुबह बिल्हौर स्थित सीओ कार्यालय जांच के लिए भेजा गया. उन्होंने दस्तावेजों का निरीक्षण किया और कई पुलिसकर्मियों से पूछताछ भी की थी. इस बीच, फॉरेंसिक टीम ने सीओ का कंप्यूटर सील करके लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा था, ताकि कंप्यूटर की हार्डडिस्क से यह पता लगाया जा सके कि यह पत्र इस कंप्यूटर से टाइप हुआ था या नहीं.
ज्ञात हो कि कानपुर में विकास दुबे की गिरफ्तारी करने पहुंची पुलिस टीम पर हमले में शहीद सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र के पत्र को लेकर कानपुर के तत्कालीन एसएसपी और डीआईजी एसटीएफ अनंत देव तिवारी जांच के घेरे में आए हैं. वह एसटीएफ की उस टीम का हिस्सा थे, जो कानपुर मुठभेड़ कांड की जांच कर रही है. मंगलवार को पत्र प्रकरण की जांच करने पहुंचीं आईजी लक्ष्मी सिंह की रिपोर्ट आने के बाद योगी सरकार ने उन्हें हटा दिया था. इससे पहले सीओ देवेंद्र मिश्र के परिजनों ने भी अनंत देव पर सवाल खड़े किए थे. इसी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे मामले के जांच के आदेश दिए थे.
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