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JNU​ हिंसा में दिल्ली पुलिस ने खुद को दी क्लीन चिट, अब तक नहीं हुई एक भी गिरफ्तारी

5 जनवरी को करीब 100 नकाबपोश लोग लाठी-डंडों के साथ कैंपस के अंदर आ गए थे. करीब 4 घंटे तक उन्होंने परिसर में काफी तोड़फोड़ की. इस पूरी घटना में 36 लोग जख्मी भी हुए थे.

Updated on: 19 Nov 2020, 11:49 AM

नई दिल्ली:

इस साल की शुरुआत में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी परिसर में हुई हिंसा की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की समिति ने स्थानीय पुलिस को बेदाग करार देते हुए क्लीन चिट दे दी है. गौरतलब है कि इसी साल 5 जनवरी को करीब 100 नकाबपोश लोग लाठी-डंडों के साथ कैंपस के अंदर आ गए थे. करीब 4 घंटे तक उन्होंने परिसर में काफी तोड़फोड़ की. इस पूरी घटना में 36 लोग जख्मी भी हुए थे, जिसमें जेएनयू के छात्र, टीचर और स्टाफ के लोग शामिल थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले की जांच की जिमेदारी क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी. इस घटनाक्रम में अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. खबर है कि फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने जांच में पाया है कि जेएनयू में घटना वाले दिन की शुरुआत में माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया था लेकिन पुलिस की दखल के बाद स्थिति सामान्य हो गई थी.

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पुलिस पर लगे थे लापरवाही के आरोप
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक जेएनयू हिंसा के लिए स्थानीय दिल्ली पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था. दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया गया था कि सब कुछ जानते हुए पुलिस कैंपस के अंदर नहीं गई. इसके जवाब में दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि जामिया में दंगाइयों का पीछा करते हुए उनकी टीम कैंपस में गई थी लेकिन जेएनयू कैंपस में पुलिस को जाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन से इजाजत लेनी होती है. मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की थी ​जिसे इस पूरे मामले से जुड़ी जानकारी और पुलिस पर लगाए गए लापरवाही के आरोपों की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी.

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छात्रों में झड़प पुलिस के दखल के बाद ही शांत हुई
खबर है कि कमेटी ने जेएनयू हिंसा के बारे में कई पुलिसकर्मियों से अलग अलग जानकारी जुटाई थी और सभी ने एक जैसा ही जवाब दिया. जानकारी के मुताबिक एडमिन ब्लॉक पर किसी भी तरह का प्रदर्शन ना हो इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक के आसपास 27 पुलिसकर्मियों को सादी व​र्दी में लगाया गया था. इस दौरान 27 पुलिसकर्मियों के पास किसी भी तरह के हथियार या लाठी नहीं थी. इन पुलसकर्मियों का काम एडमिन ब्लॉक के पास किसी तरह का धरना नहीं होने देने का ऑर्डर था. जांच के दौराना पता चला है कि घटना वाले दिन जेएनयू कैंपस के अंदर से दिल्ली पुलिस को 23 पीसीआर कॉल आईं थीं. इन कॉल में बताया गया था कि छात्रों के बीच मारपीट हो रही है. डीसीपी देवेंद्र आर्या 5 बजे के करीब कैंपस में गए थे लेकिन उस समय स्थिति सामान्य हो चुकी थी.