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लक्ष्य तक पहुंचने को तैयार इसरो का आदित्य एल-1, ये है L1 पॉइंट जहां से चलेगा सूर्य के रहस्यों का पता

Aditya L1: आदित्य एल1 जिस स्थान से सूर्य का अध्ययन करेगा वह स्थान पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी यानी 15 लाख किलोमीटर दूर है.

Updated on: 24 Dec 2023, 03:12 PM

highlights

  • 6 जनवरी को लक्ष्य तक पहुंचेगा आदित्य एल-1
  • एल-1 पॉइंट से सूर्य का अध्ययन करेगा आदित्य
  • पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर है एल-1 पॉइंट

नई दिल्ली:

Aditya L1: इसरो का आदित्य एल-1 अपने लक्ष्य तक पहुंचने को तैयार है. इसरो प्रमुख ए. सोमनाथ ने पिछले दिनों इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 6 जनवरी को अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएगा. जहां से वह सूर्य के रहस्यों को जानने की कोशिश करेगा. आदित्य एल1 जिस स्थान से सूर्य का अध्ययन करेगा वह स्थान पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी यानी 15 लाख किलोमीटर दूर है. जिसे लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के नाम से जाना जाता है. बता दें कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किमी है. इस हिसाब से आदित्य एल1 सिर्फ एक फीसदी दूरी ही तय करेगा.

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इसरो प्रमुख सोमनाथ ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि आदित्य एल1 का एल1 प्वाइंट इंसर्शन 6 जनवरी 2024 को किया जाएगा, उन्होंने कहा कि लेकिन इसका समय अभी तय नहीं किया गया है. जल्द ही उसके बारे में भी बता दिया जाएगा. बता दें कि भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य L1 को 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. यह मिशन सूर्य का अध्ययन करने में देश के अग्रणी उद्यम का प्रतीक बन गया है.

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इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल1 अपने गंतव्य पर पहुंचने के बाद अगले पांच साल तक सूर्य की विभिन्न घटनाओं का पता लगाएगा और उसका अध्ययन करेगा. सोमनाथ ने कहा कि भारत भविष्य में तकनीकी रूप से एक शक्तिशाली देश बनने वाला है. उन्होंने कहा कि इसरो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों के अनुसार अमृत काल के दौरान एक स्वदेशी स्पेस स्टेशन भी अंतरिक्ष में स्थापित करेगा. जो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के नाम से पहचाना जाएगा.

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जानें क्या है सूर्य का L1 प्वाइंट

बता दें कि इसरो आदित्य एल1 को पृथ्वी और सूर्य के खगोलीय तंत्र के लैगरेंज 1 बिंदु जो धरती से 15 लाख किमी दूर है पर ले जाकर स्थापित करेगा. सौरमंडल में पृथ्वी सूर्य का एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाती है. इसलिए कुछ बिंदु ऐसे हैं जहां दोनों को का गुरुत्वाकर्षण एक दूसरे को कम कर देता है. जिससे संतुलन बन जाता है. उसके बाद वहां पहुंची हर चीज घूमने लगती है. जिसे लैंगरेंज बिंदु कहा जाता है.