Chandrayaan-3: इसरो को मिली एक और बड़ी कामयाबी, चांद से धरती की कक्षा में लौटा चंद्रयान-3 का ये उपकरण

Chandrayaan-3: इसरो ने चंद्रयान3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से वापस धरती की कक्षा में बुला लिया है. अब ये लगातार धरती की परिक्रमा कर रहा है.

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Suhel Khan
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Chandrayaan 3

Chandrayaan-3( Photo Credit : Social Media)

Chandrayaan-3 Update: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रमा की सतह पर भेजे चंद्रयान-3 को लेकर एक और बड़ी सफलता पा ली है. दरअसल, इसरो ने चंद्रयान-3 को लेकर किए गए एक प्रयोग में कामयाबी हासिल कर ली है. ये प्रयोग भविष्य के चंद्र मिशन के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है. जिसके तहत इसरो ने चंद्रयान3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से वापस धरती की कक्षा में बुला लिया है. बता दें कि चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) लगातार चंद्रमा के चक्कर लगा रहा था.

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भविष्य के चंद्र मिशन के काफी अहम है ये प्रयोग

इसरो का ये प्रयोग आने वाले दिनों में चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मिशनों के लिए काफी अहम साबित होने वाला है. प्रोपल्शन मॉड्यूल को धरती की कक्षा में वापस लाने के लिए इसे रिटर्न मैनुवर किया गया. जानकारी के मुताबिक, प्रोपल्शन मॉड्यूल ने 10 नवम्बर को चंद्रमा से धरती की कक्षा में वापस आने के लिए यात्रा शुरू की थी. 22 नवम्बर को प्रोपल्शन मॉड्यूल धरती के निकटतम बिंदु पेरिगी के पास से होकर गुजरा था.

इसरो ने ये प्रयोग चंद्रमा से नमूने वापस लाने के मिशन को ध्यान में रखते हुए किया है. इसे लेकर इसरो ने बताया कि जिस तरह से लैंडर विक्रम का चंद्रमा की सतह के ऊपर हॉप टेस्ट किया गया था, ये प्रयोग भी उसी तहर का एक नायाब प्रयोग है. बता दें कि चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की 150 किमी वाली कक्षा में घूम रहा था जो अब धरती की कक्षा में भ्रमण कर रहा है.

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इसरो ने कैसे किया ये कारनामा?

इससे ने इस प्रयोग में सफलता पाने के लिए इसमें बचे हुए ईंधन का प्रयोग किया. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में में तीन महीने तक चक्कर लगाता. लेकिन, इसरो वैज्ञानिकों ने इसमें 100 किग्रा ईंधन को बचा लिया. जिसका प्रयोग कर प्रोपल्शन मॉड्यूल को वापस धरती की कक्षा में लाया गया. जिससे सैंपल रिटर्न मिशन के लिए जरूरी जानकारियां हासिल की जा सकें.

13 दिनों में पूरी कर रहा पृथ्वी की परिक्रमा

इसरो के मुताबिक, प्रोपल्शन मॉड्यूल को पृथ्वी की एक परिक्रमा करने में करीब 13 दिनों का वक्त लग रहा है. इस दौरान उसकी कक्षा भी बदल रही है. जिससे वह पृथ्वी के न्यूनतम 1.15 लाख किमी दूरी तक आ जाएगा. इसके साथ ही प्रोपल्शन मॉड्यूल के धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे किसी भी उपग्रह से टकराने का कोई खतरा नहीं है. बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करना था, जिसमें इसरो को सफलता मिली और ये 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया.

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हां इसने 14 दिनों यानी एक चंद्र दिवस तक सफल प्रयोग किए. लेकिन उसके बाद जब चंद्रमा पर रात के बाद दिन हुआ तो इसने काम करना बंद कर दिया. हालांकि इस दौरान प्रोपल्शन मॉड्यूल सफलतापूर्वक काम करता रहा. प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम लैंडर मॉड्यूल को धरती से चंद्रमा की कक्षा में ले जाना और वहां जाकर उसे लैंडर मॉड्यूल से अलग कर देना था.

HIGHLIGHTS

  • मिशन चंद्रयान-3 में इसरो को मिली एक और सफलता
  • धरती की कक्षा में लौटा चंद्रयान-3 का प्रॉपल्शन मॉड्यूल
  • 13 दिनों में पूरा कर रहा धरती का एक चक्कर

Source : News Nation Bureau

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