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चीन के अरुणाचल पर दावे को भोथरा करेगी ब्रह्मपुत्र नदी में अंडर वॉटर सुरंग

देश में नदी के नीचे बनने वाली यह पहली सुरंग पूर्वी चीन (China) के ताइहू झील के नीचे बन रही सुरंग से अधिक लंबी है.

Updated on: 14 Jul 2020, 09:50 AM

highlights

  • अरुणाचल में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनेगी सुरंग.
  • चीन की निर्माणाधीन सुरंग से भी लंबी होगी.
  • सामरिक दृष्टि से भारत की स्थिति मजबूत.

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में चीनी सैनिकों से हिंसक झड़प के बाद केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) सामरिक लिहाज से हर साज-ओ-सामान जुटाने में लगी है. इस कड़ी में केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) नदी के नीचे 14 किलोमीटर लंबी देश की पहली अंडर वॉटर सुरंग को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है. खास बात यह है कि देश में नदी के नीचे बनने वाली यह पहली सुरंग पूर्वी चीन (China) के ताइहू झील के नीचे बन रही सुरंग से अधिक लंबी है. ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एनएच 54 से एनएच-37 को जोड़ने वाली इस फोर लेन टनल से अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी और मजबूत हो सकेगी.

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एनएच-54 और एनएच-37 को जोड़ेगी
सरकार असम के गोहपुर (एनएच-54) से नुमालीगढ़ (एनएच-37) को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन सड़क परिवहन टनल बनाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है. सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचएआईडीसीएल) ने अमेरिका की पेशवर कंपनी लुइस बर्जर कंपनी द्वारा तैयार प्री-फिजिबिलटी रिपोर्ट व डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को 18 मार्च को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है.

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सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण
अत्याधुनिक तकनीक से बनने वाली टनल असम-अरुणाचल प्रदेश से सालभर कनेक्टिविटी मुहैया कराने के चलते सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. आने और जाने के लिए अलग-अलग दो ट्यूब वाली इस टनल में सैन्य वाहन, रसद-हथियार पहुंचाने वाले वाहन 80 किलोमीटर की रफ्तार पर फर्राटा भर सकेंगे. उपक्रम के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि एलाइनमेंट सहित तमाम प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और दिसंबर में टनल निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

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चीन से लंबी और अत्याधुनिक फीचर्स वाली होगी सुरंग
गौरतलब है कि पूर्वी चीन के ताइहू झील के नीचे निर्माणाधीन सड़क परिवहन टनल की लंबाई 10.79 किलोमीटर है. ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनने वाली टनल में आने और जाने के लिए अलग-अलग दो ट्यूब (कैप्सूल) होंगे. बीच में यह दोनो ट्यूब आपस में जुड़ें होंगे.टनल के भीतर पानी नहीं घुसे, इसके लिए कई सुरक्षा चक्र जुटाए जाएंगे. टनल में ताजी हवा के लिए वेंटिलेशन सिस्टम, फायर फाइटिंग, रेलिंग युक्त फुटपाथ, ड्रैनेज सिस्टम, मार्ग प्रकाश, इमरजेंसी निकास आदि होंगे. टनल में पहली बार क्रश बैरियर लगाए जाएंगे. इसकी मदद से तेज रफ्तार में दौड़ने वाले वाहन दुर्घटना के बाद पलटने के बजाए क्रैश बैरियर से टकरा कर सड़क पर आ जाएंगे.