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वायुसेना को नई ताकत देगा अर्ली वार्निंग सिस्टम AEW&C, DRDO करेगा तैयार

रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने वायुसेना के लिए आधा दर्जन एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) एयरक्राफ्ट परियोजना को भी मंजूरी दे दी है.

Updated on: 10 Sep 2021, 11:08 AM

highlights

  • नया एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम एयरबस ए-321 पर आधारित होगा
  • पहला अर्ली वार्निंग सिस्टम 2017 से ब्राजील जेट पर काम कर रहा है
  • डीआरडीओ तैयार करेगा 11 हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना को

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में बीते साल चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जवानों से भारतीय जवानों की हिंसक झड़प के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ड्रैगन की किसी भी फुफकार से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों को लगातार उन्नत बनाने की योजना पर काम कर रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने गुरुवार को भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को 70 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम मीडियम रेंज सरफेस-टु-एयर मिसाइल सिस्टम प्रदान किया. इसके साथ ही रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने वायुसेना के लिए आधा दर्जन एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) एयरक्राफ्ट परियोजना को भी मंजूरी दे दी है. यह सिस्टम धरती पर स्थित रडार के सापेक्ष दुश्मन की क्रूज मिसाइलों. ड्रोन समेत लड़ाकू विमानों का कहीं अधिक तेजी से पता लगाने में सक्षम है. 

11 हजार करोड़ की परियोजना है डीआरडीओ के जिम्मे
गौरतलब है कि रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के अध्यक्ष पीएम नरेंद्र मोदी हैं. एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट परियोजना को रक्षा अनुसंधान और विकास परिषद (डीआरडीओ) ने तैयार किया था. यह परियोजना 11 हजार करोड़ रुपए की है. गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना में स्वदेश निर्मित पहला अर्ली वार्निंग सिस्टम 2017 में शामिल किया गया था, जो ब्राजील के एम्बरेर-145 जेट पर आधारित था. नेत्रा नाम के इस सिस्टम को डीआरडीओ ने ही तैयार किया था, जिसकी रेंज लगभग 200 किलोमीटर है. 

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एयरबस ए-321 पर केंद्रित होगी अर्ली विर्निंग सिस्टम
सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक नया एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम एयरबस ए-321 पर आधारित होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक यह सिस्टम नेत्रा से कहीं ज्यादा आधुनिक होगा. हाल-फिलहाल दो नेत्रा सिस्टम सेवा में हैं. अब इस परियोजना के तहत डीआरडीओ इन 6 विमानों को एयर इंडिया से हासिल करेगा. फिर इन विमानों में सामरिक जरूरतों के अनुसार बदलाव कर एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम फिट किए जाएंगे. दरअसल यह अर्ली वार्निंग सिस्टम जमीन पर आधारित रडार की तुलना में दुश्मन देश की क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और ड्रोन का बेहद तेजी से पता लगाता है. यह सिस्टम समुद्र में भी निगाह रख युद्धक पोतों की सुरक्षा के लिए काम कर सकता है.

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नए ट्रांसपोर्टर विमानों की खरीद को भी हरी झंडी
इस परियोजना से वाकिफ सूत्रों के अनुसार भारतीय वायुसेना के लिए नए ट्रांसपोर्टर विमानों की खरीद को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है. इसके बाद अब भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके विमानों की जगह नए उन्नत और आधुनिक विमानों से बदला जाएगा. लंबे समय से भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे रहे एवरो छोटे ट्रांसपोर्टर विमानों का स्थान अब स्पेन के सी-295एमडब्ल्यू लेंगे. कैबिनेट ने 56 नए सी-295एमडब्ल्यू विमानों की खरीद को मंजूरी दी है. इन 56 विमानों में से 16 विमान पूरी तरह से तैयार होकर स्पेन से सीधे उड़ान भरकर भारत आएंगे, जबकि बाकी 40 को भारत में बनाया जाएगा. यह नया एयरक्राफ्ट 5 से 10 टन का वजन ढो सकता है. स्पेन से हुए सौदे के तहत 16 विमान 48 महीनों में स्पेन से बनकर आएंगे. शेष 40 एयरक्राफ्ट अगले दस साल में भारत में तैयार होंगे.