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डेल्टा वेरिएंट पर भारत और अमेरिका की स्टडी के दावे अलग, जानें कितना है खतरनाक

SARSCoV2 वायरस का डेल्टा वैरिएंट, कोविड-19 रोधी वैक्सीनेशन से बनी एंटीबॉडी से नहीं बच सकता है. यह खुलासा एक अमेरिकी अध्ययन में हुआ है.

Updated on: 19 Aug 2021, 09:51 AM

नई दिल्ली:

कोरोना का डेल्टा वेरिएंट कितना खतरनाक है, इसे लेकर भारत और अमेरिका की स्टडी में अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. आईसीएमआर की हाल में हुई स्टडी में सामने आया है कि डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है. हालांकि इसकी संक्रमण दर काफी कम होगी. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में हुई स्टडी में कहा गया है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट एंटी कोविड वैक्सीन से बच निकलने में संभव नहीं है. एक ही वेरिएंट को लेकर दो अलग स्टडी से सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर यह वेरिएंट कितना खतरनाक है.  

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आईसीएमआर ने हाल ही में चेन्नई में एक स्टडी की. इस स्टडी में सामने आया कि डेल्टा वेरिएंट काफी खतरनाक है. इसमें कोरोना की दोनों वैक्सीन ले चुके लोगों को भी संक्रमित करने की क्षमता है. इस स्टडी में सामने आया कि डेल्टा वेरिएंट में संक्रमण की दर दूसरे वेरिएंट के मुकाबले काफी कम है. दूसरी तरफ अमेरिका की पत्रिका ‘इम्यूनिटी’ में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है. इस स्टडी में कहा गया है कि इससे यह व्याख्या करने में मदद मिल सकती है कि टीकाकरण करा चुके अधिकतर लोग घातक डेल्टा स्वरूप के संक्रमण से बच निकलने में क्यों सफल रहे. 

यह अध्ययन अमेरिका स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने किया जिसमें फाइजर का कोविड रोधी टीका ले चुके लोगों के शरीर में बनीं एंटीबॉडीज का आकलन किया गया. अवाशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के को-सीनियर ऑथर जैको बून ने कहा, ‘डेल्टा ने अन्य वैरिएंट्स को पीछे छोड़ दिया है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अन्य प्रकारों की तुलना में हमारे एंटीबॉडी पर तेज हमला करेगा.’ उन्होंने कहा इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि डेल्टा वैरिएंट, वैक्सीन को मात दे सकता है.

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अमेरिका में बूस्टर डोज देने की सिफारिश
अमेरिका में डेल्टा वेरिएंट को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों ने चिंता जाहिर की है. अधिकारियों ने लोगों से कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने की सिफारिश की है. अमेरिका में डेल्टा वेरिएंट के मामले तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि फाइजर या मॉडर्ना टीके की दूसरी खुराक लेने के आठ महीने बाद अतिरिक्त खुराक लेने की सिफारिश करती है.