ममता बनर्जी के सामने काजी साहब ने मुसलमानों को 'ललकारा', कहा...
ममता की उपस्थिति में काजी फजलुर रहमान ने मुसलमानों को किसी भी राजनीतिक पार्टी पर निर्भर नहीं रहने की नसीहत दी.
highlights
- काजी फजलुर रहमान ने कहा मुसलमान किसी एक पार्टी पर आश्रित नहीं रहें.
- मुसलमान इस देश के नागरिक हैं, बराबर अधिकार वाले.
- ममता बनर्जी के सामने ही मुसलमानों को दिखाई भविष्य की तस्वीर.
नई दिल्ली.:
पश्चिम बंगाल में ईद के दिन जिस मंच का इस्तेमाल राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी को नसीहत देते हुए 'चूर चूर हो जाएगा' उद्घोष के लिए किया था. उसी मंच का इस्तेमाल एक मुअजिज मौलवी ने मुसलमानों को खास संदेश देने में किया. ममता की उपस्थिति में काजी फजलुर रहमान ने मुसलमानों को किसी भी राजनीतिक पार्टी पर निर्भर नहीं रहने की नसीहत दी. यही नहीं, उन्होंने कहा कि वैचारिक रूप से विरोध करने वालों से मुसलमानों को आगे बढ़ कर दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए. नफरत करने वालों को फूल देने चाहिए. इसके साथ ही सत्तारूढ़ दल से संवाद करने में भी पीछे नहीं रहना चाहिए.
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सभी राजनीतिक पार्टियों का एजेंडा है
ईद के मौके पर लगभग दो लाख की मुस्लिम आबादी को संबोधित करते हुए रहमान ने किसी भी राजनीतिक पार्टी या किसी व्यक्तिगत राजनेता का नाम नहीं लिया. हालांकि जिस किसी ने भी उनके संबोधन को सुना, उसने यह जरूर कहा कि पहली बार समुदाय विशेष के नेता ने मुस्लिम समाज को भविष्य की झलक दिखाने की कोशिश की. अपने संबोधन में रहमान ने कहा, 'अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इस या उस पार्टी पर निर्भर ना रहें. इस समय कई ऐसे लोग आगे आए हैं, जिनके पास एक प्लान और एजेंडा है और यह समुदाय के पक्ष में नहीं है. मैंने सुना है कि कई मुस्लिम कहते हैं कि यह पार्टी हमारे हितों की रक्षा करेगी या फिर वह पार्टी हमारे विकास के लिए काम करेगी. कोई नहीं करेगा. आपने देखा है कि क्या हुआ है. खुद के भीतर झांकिए और अल्लाह में विश्वास कीजिए.'
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इस्लाम की सही शिक्षा समझें
उन्होंने आगे कहा, 'यदि कोई आपसे नफरत करता है या फिर हिंसक है तो आप उससे उलझिए मत उसे फूल दीजिए. इस्लाम ने हमें यही सिखाया है. विचारधारा के स्तर पर कोई आपका विरोध करता है, तो आप उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाइए. ऐसा कोई नियम नहीं है कि जो हमारा विरोध करता है हम उससे हाथ ना मिलाएं या उसके साथ मिलकर ना रहें. यह मत भूलिए कि हम इस देश के नागरिक हैं और यहां हमारा बराबर अधिकार है.'
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