कोरोना लॉकडाउन (Corona lockdown) से सबसे अधिक परेशानी प्रवासी मजदूरों को ही रही है. लॉकडाउन के कारण कारखाने और कामकाज बंद हैं. इससे इन मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. लगातार मजदूर अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं. राज्य सरकारों की लाख कोशिशों के बावजूद उनका पलायन रुक नहीं रहा है.
सिर्फ ट्रेन ही नहीं प्रवासी मजदूरों की ऐसी बड़ी संख्या है तो पैदल या ट्रकों से अपने घर लौट रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र में साधु और सेवक की हत्या, आश्रम में पड़ा मिला शव
केंद्र सरकार के मुताबिक देशभर में ऐसे चार करोड़ मजदूर हैं जो विभिन्न कार्यों में लगे हैं. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बाद इनमें से 75 लाख लोग वापस लौट चुके हैं. हालांकि यह संख्या सिर्फ ट्रेन और बसों से लौटने वालों की है. अगर इन्हीं आंकड़ों को देखें तो अभी तक सिर्फ 20 फीसद मजदूर ही वापस लौट सके हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर मजदूरों के पलायन की रफ्तार इसी तरह जारी रही तो 30 जून तक 80 फीसद मजदूर अपने घर में लौट जाएंगे. इससे रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों की चुनौती लोगों के सामने खड़ी हो जाएगी.
यह भी पढ़ेंः मिल गई कोरोना की दवा! संक्रमितों पर सबसे ज्यादा असर कर रही Remdesivir
यूपी-बिहार के 80 फीसद मजदूर
जानकारी के मुताबिक अभी तक जो मजदूर घर वापस लौटे हैं उनमें 80 फीसद यूपी और बिहार के हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबित अंतरराज्यीय प्रवासियों (inter-state migrants) की संख्या 6.5 करोड़ है. इनमें से 33 फीसदी मजदूर हैं. इनमें से भी 30 फीसदी कैजुअल वर्कर हैं और 30 फीसदी असंगठित क्षेत्र में नियमित काम करते हैं. लॉकडाउन के बाद देशभर में श्रमिक विशेष ट्रेनों से 35 लाख प्रवासी श्रमिक अपने गंतव्य तक पहुंच गए हैं, जबकि 40 लाख प्रवासियों ने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए बसों से यात्रा की.
Source : News Nation Bureau