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ICMR( Photo Credit : social media )
नौकरीपेशा लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है. नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि, एक तिहाई कर्मचारी एक खास तरह की मेडिकल स्थिति से ग्रसित हैं, जिसमें 45 साल से कम उम्र वाले लोगों में 65 साल का होते-होते कैंसर का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. इस तरह की मेडिकल स्थिति को मेटाबोलिक सिंड्रोम कहा जाता है. इस स्थिति में कैंसर के अतिरिक्त हृदय रोग, स्ट्रोक जैसी बीमारियां शरीर को घेरने लगती है. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानें...
क्या है मेटाबोलिक सिंड्रोम?
मेटाबोलिक सिंड्रोम दरअसल कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक मेडिकल स्थिति है, जिसमें इंसान के शरीर में बीमारियों के कारण बढ़ जाते हैं. मोटे तौर पर समझें तो, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल के संयुक्त रूप को मेटाबॉलिक सिंड्रोम के तौर पर पहचाना जाता है. जोकि हृदय रोगों के अलावा कैंसर, स्ट्रोक जैसी बीमारियों के बढ़ते जोखिम को भी दर्शाता है. अगर ये स्थिति 45 साल से कम आयु वाले लोगों में मिलती है, तो उनके 65 साल का होते-होते तक शरीर में कैंसर का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है.
ICMR द्वारा ये अध्ययन कैसे किया गया?
राष्ट्रीय पोषण संस्थान जोकि ICMR के अधीन है ने तीन बड़ी आईटी कंपनियों में काम कर रहे 30 वर्ष से कम युवाओं पर अध्ययन किया, इसमें पाया गया कि हर दूसरे कर्मचारी का वजन या तो अत्यधिक है, या फिर पूरी तरह से मोटापे से ग्रस्त है. वहीं करीब 10 में से छह कर्मचारियों में एचडीएल यानी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत ज्यादा मिला है. इस वजह से भविष्य में दिल से जुड़ी बीमारियों के उभरने का खतरा है.
Source : News Nation Bureau
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