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पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-20 से कितना बेहतर है राफेल विमान, जानें सबकुछ

राफेल (Rafale) विमानों को वायुसेना की गोल्डन ऐरो 17 स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा. यह स्क्वाड्रन काफी प्रसिद्ध है जिसने करगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

Updated on: 29 Jul 2020, 04:48 PM

नई दिल्ली:

राफेल विमानों (Rafale in India) की पहली खेप भारत पहुंच चुकी है. अंबाला (Ambala) एयरबेस पर राफेल विमानों की लैंडिंग हो चुकी है. वायुसेना के बेड़े में शामिल हुए पांच लड़ाकू विमानों दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूर तरह तैयार हैं. भारत को फ्रांस से कुल 36 राफेल विमान मिलने हैं. अगले डेढ़ साल में यह ये विमान चरणबद्ध तरीके से भारत को सौंपे जाएंगे. राफेल विमान फोर्थ जैनरेशन के लड़ाकू विमान हैं. इन्हें पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-20 से बेहतर माना जा रहा है. जानिए क्या है राफेल की खासियत...

राफेल की ताकत
ताकत के मामले में राफेल को भारत को बाहुबली कहा जा रहा है. राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 KM है, कॉम्बैट रेडियस यानी अपनी उड़ान स्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं. भारत को मिलने वाले राफेल में तीन तरह की मिसाइल लग सकती हैं. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प और हैमर मिसाइल से लैस होने के बाद राफेल दुश्मनों पर बिजली की तरह टूट पड़ेगा.

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चीन के J-20 से बेहतर
राफेल के J-20 से काफी बेहतर माना जा रहा है. राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है. यह पाकिस्तान के F-16 या चीन के J-20 से बेहतर माना जा रहा है. भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें हैमर मिसाइल लगवाई है. हैमर (HAMMER) यानी Highly Agile Modular Munition Extended Range एक ऐसी मिसाइल है, जिनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है. ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं.

2016 में हुई थी डील
भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में तकरीबन 58 हजार करोड़ रुपये की डील फाइनल की थी. तब इस डील को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इस डील के तहत भारत को फ्रांस से 36 राफेल विमान मिलने हैं. फरवरी 2021 तक जाकर राफेल विमान पूरी तरह से ऑपरेशनल होंगे. राफेल विमान को फ्रांस ने भारतीय वायुसेना के हिसाब से बनाया है, जिसमें भारत की जरूरतों का ध्यान रखा गया है. भारत को जो राफेल मिला है उसका टेल नंबर RB001 है. राफेल 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना में एक तरह से बड़ा बदलाव लाएगा. इस विमान में 24500 किग्रा भार ढोने की क्षमता है. साथ ही विमान के जरिए एक साथ 125 राउंड गोलियां दागी जाती हैं जो किसी को कुछ सोचने से पहले उसका काम तमाम कर सकती हैं. 

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यहां होगी तैनाती
अंबाला में राफेल विमानों की तैनाती होने जा रही है. अंबाला एयरबेस देश का सबसे पुराना और विश्वसनीय एयरबेस है. एयरफोर्स ने राफेल की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. राफेल से जुड़े सभी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हैं. यहां तक कि पायलटों को इसकी खास ट्रेनिंग भी दे दी गई है. राफेल का पहला स्क्वाड्रन अंबाला में इसलिए तैनात किया जा रहा है क्योंकि इस जगह का खास रणनीतिक महत्व है. यहां से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर महज 220 किमी की दूरी पर है. राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हसिमारा में तैनात किया जाएगा.