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जम्मू-कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए आसिया अंद्राबी और शब्बीर शाह को मिले 10-10 करोड़ रुपये

पिछले साल जुलाई में जम्मू कश्मीर आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से पूरी कश्मीर घाटी जल रही है।

Updated on: 06 May 2017, 05:49 PM

नई दिल्ली:

पिछले साल जुलाई में जम्मू कश्मीर आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से पूरी कश्मीर घाटी जल रही है। जन्नत में हिंसा की आग आतंकवादियों और पत्थरबाजों की बदौलत फैलाई जा रही है।

आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है और इन पत्थरबाजों और आतंकियों की फंडिंग कैसे हो रही है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान कश्मीर से गुजरात तक टेरर कॉरीडोर बनाने के एजेंडे पर काम कर रहा है। इसके लिए आसिया अंद्राबी और शब्बीर शाह जैसे अलगाववादी नेताओं को लगातार पैसे मिल रहे हैं। एनआईए सूत्रों के मुताबिक आसिया अंद्राबी और शब्बीर शाह को बीते अप्रैल महीने में 10-10 करोड़ रुपये हवाला के जरिए भेजे गए थे।

सूत्रों के मुताबिक इन अलगाववादियों को पाकिस्तान, यूएई, सऊदी अरब से लगातार पैसे भेजे जा रहे हैं। जब से पाक और सऊदी अरब के रिश्तों में मधुरता आई है तब से घाटी में हिंसा फैलाने के लिए फंडिंग में बेहद इजाफा हुआ है। पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और उरी के बीच होने वाले कारोबार के जरिए भी आतंकियों की फंडिंग हो रही है। इन्ही पैसों का इस्तेमाल कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देने और सेना पर पत्थरबाजी करनेवाले लोगों को देने में दिया जाता है।

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पैसों की इन्ही लेन-देन की वजह से ही बीते दिनों आसियों अंद्राबी को एक बार फिर नजरबंद कर दिया गया था। हैरान करने वाली बात ये है कि बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर लगातार पैसों की बारिश हो रही है। पाकिस्तान बुरहान वानी की मौत के बाद वहां उपजे तनाव का फायदा कश्मीर के स्थानीय लोगों को भड़का कर उठाना चाहता है ताकि वो कश्मीर के अंदर ही भारत विरोधी काम कर सके।

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एनआईए सूत्रों के मुताबिक ना सिर्फ आसिया अंद्राबी और शब्बीर शाह को पैसे मिले हैं बल्कि मीरवाइज उमर फारूक, गिलानी जैसे अलगाववादी नेताओं को भी पैसे दिए गए हैं। जब इस मुद्दे पर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं से बात करने की कोशिश की गई तो कोई भी नेता प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हुआ।

एनआईए सूत्रों के मुताबिक अलगाववादी नेताओं के करीब 10 खातों पर नजर रखी जा रही है जिसमें करीब हाल फिलहाल में 24 करोड़ रुपये भेजे गए हैं। सुरक्षाबलों की पैनी नजर जमात उद दावा, जैश, लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के चैरिटी संस्थानों पर भी है जिसके जरिए कश्मीर में पैसा भेजा जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों पर इन फंडिंग को रोकने की बड़ी जिम्मेदारी है।

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