भारत की कोरोना वैक्सीन अन्य देशों से कैसे है बेहतर, अमेरिका सहित कई देशों में वैक्सीन लगने से हो रहीं मौतें
दुनिया के कई देशों में लोगों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगनी शुरू हो गई हैं. भारत में भी 16 जनवरी से विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान (Vaccination) शुरू हो गया है.
नई दिल्ली:
दुनिया के कई देशों में लोगों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगनी शुरू हो गई हैं. भारत में भी 16 जनवरी से विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान (Vaccination) शुरू हो गया है. भारत में अन्य देशों के मुकाबले वैक्सीन ज्यादा कारगर दिखाई दे रही है. अमेरिका सहित कई देशों में कोरोना वैक्सीन लगने के बाद होने वाली मौत ने चिंता जाहिर की है. कुछ मामलों में वैक्सीन लगने के बाद लोग विकलांग हो गए.
इजराइल में फेशियल पैरालाइसिस के मामले
इजरायल में फाइजर की वैक्सीन लगने के बाद 13 लोगों में फेशियल पैरालाइसिस के मामले सामने आए हैं. वहीं अमेरिका में मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन लगने के बाद अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में अब तक ऐसे 96 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें वैक्सीन लगने के बाद लोगों की जान पर बन आई. अमेरिका में वैक्सीन लगने के बाद 24 लोग पूरी तरह हो गए जबकि 225 को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. वहीं 1,388 लोग वैक्सीन लगवाने के बाद इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे.
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नार्वे में 23 लोगों की मौत
नार्वे में फाइजर () की कोरोना वायरस वैक्सीन लगवाने के बाद मरने वालों की संख्या 23 हो गई है. इनमें 13 लोग ऐसे हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उनकी मौत कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट की वजह से हुई. इतनी मौतों के बाद नार्वे ने अपनी वैक्सीन लगवाने की गाइडलाइन को तत्काल प्रभाव से बदल दिया है. एक अन्य यूरोपीय देश बेल्जियम के एक शख्स की फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद 5 दिन बाद मौत हो गई. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वह नार्वे में मौतों पर नजदीकी नजर बनाए हुए है.
बेल्जियम में एक व्यक्ति की मौत
बेल्जियम में भी एक व्यक्ति की फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि उन्हें 5 दिन पहले ही फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी. बेल्जियम ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. मारे गए व्यक्ति की उम्र 82 साल थी और उसे स्वास्थ्य से जुड़ी कई अन्य बीमारियां थीं.
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किस वैक्सीन की क्या स्थिति
मॉडर्ना वैक्सीन : अमेरिकी कंपनी की mRNA-1273 वैक्सीन भी सैद्धांतिक तौर पर तकरीबन फाइज़र बायोएनटेक की वैक्सीन जैसी है. ट्रायल्स में इसके सामान्य इफेक्ट्स ही नज़र आए. फाइज़र वैक्सीन की तरह ही इसके टीके लगने के बाद भी बहुत कम मामलों में एलर्जी रिएक्शन की शिकायतें रहीं तो गिने चुने मामलों में चेहरे की नसों में पैरालिसिस की शिकायत भी आई. इस बारे में कहा गया कि ये साइड इफेक्ट्स वैक्सीन के mRNA की वजह से नहीं बल्कि शरीर में प्रतिक्रिया करवाने वाले नैनोपार्टिकलों की वजह से हुए हों, यह संभव है.
स्पूतनिक V वैक्सीन : रूस में डेवलप वेक्टर वैक्सीन को तीसरे फेज़ के ट्रायल से पहले ही इस्तेमाल किए जाने से विवाद खड़ा हुआ था. डैश विले की मानें तो इसके डेटा में हेराफेरी को लेकर भी सवाल खड़े हैं. इसके बावजूद, रूस के अलावा भारत समेत अन्य देशों में वैक्सीन दी जा रही है. रूस में 8 लाख लोगों को दी जा चुकी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को रूसी मंत्रालय ने मामूली बताया तो अर्जेंंटीना में 32 हज़ार में से 317 मामलों में साइड इफेक्ट्स दिखे. वहीं, रूस के 52% डॉक्टरों ने यह वैक्सीन लेने से मना कर दिया.
सिनोफार्माः चीन (China) के वैज्ञानिक ही खुलासा कर रहे हैं कि चीन में बनी साइनोफार्मा की वैक्सीन (Sinopharm COVID-19 vaccine) दुनिया में सबसे ज्यादा असुरक्षित है और इससे 73 से ज्यादा साइड इफेक्ट होने की आशंका है. डॉक्टर ताओ के मुताबिक चीन ने वैक्सीन के ट्रायल पूरे नहीं किए हैं और इसके कई खतरनाक साइडइफेक्ट हैं. हालांकि बाद में चीनी सरकार के दबाव के बाद डॉक्टर ताओ ने अपना बयान वापस ले लिया है.
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