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विकास दुबे कैसे पहुंचा फरीदाबाद से उज्जैन तक, किसने की मदद? उठे ये बड़े सवाल

उत्तर प्रदेश का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर और कानपुर में 8 पुलिस जवानों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को गुरुवार की सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

Updated on: 09 Jul 2020, 12:24 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर और कानपुर में 8 पुलिस जवानों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) को गुरुवार की सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि विकास की गिरफ्तारी का ब्योरा उत्तर प्रदेश पुलिस को दे दिया गया है. विकास दुबे गुरुवार की सुबह उज्जैन (Ujjain) के महाकाल मंदिर में पहुंचा था, जहां से पुलिस ने उसे दबोच लिया. पुलिस फिलहाल उसे हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. लेकिन विकास की गिरफ्तारी के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर वह दिल्ली से सटे फरीदाबाद से मध्य प्रदेश के उज्जैन तक कैसे पहुंचा. क्या कानपुर एनकाउंटर (Kanpur Encounter) के बाद भी कोई विकास दुबे की मदद कर रहा था.

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दरअसल, मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे को कथित रूप से मंगलवार को हरियाणा के फरीदाबाद के एक होटल में देखा गया था. हालांकि जब पुलिस वहां छापा मारने पहुंची थी तो वह पुलिस को चकमा देकर भाग निकलने में कामयाब रहा था. पुलिस द्वारा बरामद सीसीटीवी फुटेज में विकास दुबे को मास्क लगाए और नीले रंग की टी-शर्ट पहने देखा गया. बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ टीमें फरार अपराधी की तलाश में कई स्थानों पर छापेमारी करती रहीं, लेकिन वह गैंगस्टर को पकड़ नहीं सकीं.

इसके बाद यह खबर भी सामने आई कि विकास दुबे को नोएडा में देखा गया है. पुलिस को विकास दुबे के नोएडा में होने की सूचना मिली थी. रात किसी ने फोन किया कि उसने विकास दुबे को सेक्टर-71 में एक ऑटो में देखा है. हालांकि पुलिस को अपनी जांच में कुछ नहीं मिला. इस घटना के बाद से आशंका ये थी कि विकास दुबे नोएडा में किसी न्यूज चैनल के स्टूडियो में सरेंडर कर सकता है. ऐसा इनपुट मिलने के बाद पुलिस ने फिल्म सिटी में अलर्ट जारी कर दिया और फिल्म सिटी से लेकर दिल्ली बॉर्डर तक पुलिस की भारी तैनाती की गई.

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तभी आज सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में विकास दुबे की गिरफ्तारी की खबर सामने आ गई. बताया जा रहा है कि उज्जैन में विकास दुबे ने मीडिया की मौजूदगी में पुलिस के सामने खुद सरेंडर किया है. कहा जा रहा है कि विकास दुबे आज सुबह महाकाल मंदिर में पहुंचा और यहां जोर जोर से चीखते हुए बोले- 'मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला.' इसके बाद स्थानीय पुलिस ने विकास दुबे को दबोच लिया.

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कोरोना वायरस के दौर में राज्यों की सीमाओं पर सघन चेकिंग और तलाशी के बावजूद विकास दुबे फरीदाबाद से उज्जैन तक कैसे पहुंच गया. फरीदाबाद से उज्जैन की दूरी करीब 800 किलोमीटर है. ऐसे में वह फरीदाबाद से किस तरह और किसकी मदद लेकर उज्जैन पहुंचा है.

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दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्रा के परिजनों ने भी विकास की गिरफ्तारी के बाद यही सवाल उठाए हैं. उनका मानना है कि फरीदाबाद से महाकाल 12 घंटे पहुंचने में लगते हैं और पूरे प्रदेश से लेकर कई जिलों की बॉर्डर सील होने के बाद भी उसको पकड़ा ना जा सका. उन्होंने कहा कि उसकी गिरफ्तारी के समय मीडिया का मौजूद होना, इन सब पर कई सारे सवाल खड़े होते हैं. सीओ देवेंद्र मिश्रा के परिजनों ने इस पूरे घटनाक्रम में राजनीतिक नेताओं की भूमिका का अंदेशा व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि पूरा विभाग कहीं गलत नहीं होता उसमें कुछ लोग होते हैं. जो लोग ड्यूटी के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. इसी प्रकार कुछ नेता भी ऐसे हैं जो नेता के धर्म को छोड़ कर अपराधियों से हाथ मिला लेते हैं.

गौरतलब है कि 2-3 जुलाई की देर रात कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस दल पर दुबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसाई थीं. इस हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी मारे गए थे. उस घटना के बाद से पुलिस मुठभेड़ में 5 लोग मारे गए हैं. बुधवार को उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में अमर दुबे को पुलिस ने मार गिराया था, जबकि तीन जुलाई को कानपुर में एक मुठभेड़ में पुलिस ने प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे को मार गिराया था.

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