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तब्लीगी जमात फिर से शक के दायरे में, मुस्लिम नाम से मरकज में रहते मिला हिंदू युवक

पिता का कहना है कि साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) का कोर्स किया उनका बेटा पिछले कुछ दिनों से अजीब-ओ-गरीब व्यवहार करने लगा था. उसने घर पर नमाज पढ़नी शुरू कर दी थी और इस्लाम (Islam) की बातें करता था.

Updated on: 23 May 2020, 07:25 AM

highlights

  • तब्लीगी जमात में रह रहा शख्स हिंदू था, लेकिन अपना पंजीकरण मुस्लिम नाम से कराया.
  • पिता के मुताबिक साइबर सिक्योरिटी का कोर्स करने वाले बेटे का आचरण संदिग्ध.
  • पुलिस को शक कि कहीं यह ब्रेन वॉश का मामला तो नहीं, जांच का एक बिंदू यह भी.

नई दिल्ली:

जयपुर का रहने वाला पीयूष सिंह 20 मार्च को लापता हो गया था. उसे हाल ही में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) में पाया गया, जहां तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) की सूची में उसका नाम मोहम्मद अली के नाम से पंजीकृत था. उसके परिवार वालों खासकर पिता की शिकायत के आधार पर मामला बेहद संगीन औऱ संदिग्ध बन गया है. पिता का कहना है कि साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) का कोर्स किया उनका बेटा पिछले कुछ दिनों से अजीब-ओ-गरीब व्यवहार करने लगा था. उसने घर पर नमाज पढ़नी शुरू कर दी थी और इस्लाम (Islam) की बातें करता था. पीयूष के घर से गायब होने पर जब उन्हें पता चला कि वह दिल्ली की मरकज में नाम बदल कर रह रहा है, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उसके बाद पुलिस की मदद से उसे घर लाया गया. फिलहाल पीयूष कुछ बात नहीं कर रहा है. उसके जवाब देने के बाद ही पता चलेगा कि वह पीयूष से मोहम्मद अली क्यों बना और मरकज में क्या करने गया था औऱ किसके कहने पर?

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आधार नंबर वही, लेकिन पता मेरठ का
पीयूष का आधार नंबर वही है, जो तब्लीगी जमात के सदस्यों की सूची में अली का है. सूची में अली का पता मेरठ दिखा रहा है. 19 अप्रैल को अली उर्फ पीयूष को क्वारंटीन में रहने की सलाह दी गई थी. वह दिल्ली के सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन में था. अधिकारियों ने बताया कि उसकी जांच के नमूने तीन बार लिए गए और हर बार परिणाम नेगेटिव आया. स्थानीय पुलिस की एक टीम दिल्ली गई और बुधवार को उसे वापस लेकर आई. वह वापस नहीं आना चाह रहा था, वह वही रहना चाहता था और वह अपने पिता के साथ नियमित तौर पर संपर्क में भी था. मरकज में रहने के दौरान उसका मोबाइल भी ऑन था. हालांकि शुरुआती पूछताछ में उसने बताया कि वह अपनी इच्छा से मरकज गया था. यह पूछे जाने पर कि उसका नाम अली क्यों रखा गया था? इस पर एसएचओ ने बताया, 'उसने शायद खुद ही इस नाम से अपना पंजीकरण कराया होगा. वह स्वेच्छा से वहां रह रहा था.'

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पिता के बयानों से मामला संदिग्ध और संगीन
हालांकि उसके पिता का कुछ और ही कहना है. पीयूष के पिता ने कहा, 'मुझे 10 दिन पहले पता चला कि मेरा बेटा मरकज में है. इसके बाद पुलिस ने प्रयास किया और उसे वापस लाने में मदद की.' उन्होंने आगे कहा, 'दिल्ली से वापस आने के बाद मेरे बेटे की मानसिक स्थिति स्थिर नहीं है और वह किसी से बात भी नहीं करना चाहता है.' उन्होंने आगे बताया, 'पीयूष ने बीसीए की पढ़ाई की है और एमसीए की तैयारी कर रहा है. अभी उसे आए बस दो ही दिन हुए हैं, कुछ दिनों बाद हम उससे पूछेंगे कि वह मरकज कैसे पहुंचा.' उन्होंने आगे यह भी कहा, 'समय अच्छा नहीं चल रहा है. हमें नहीं पता कि वह किसके संपर्क में था और किसकी मदद से मरकज पहुंचा.' अपने द्वारा दर्ज की गई शिकायत में पीयूष के पिता ने यह भी कहा था कि पिछले कुछ महीनों से उनका बेटा नमाज पढ़ रहा है और इस्लाम की बातें भी करता है. पिता ने यह भी बताया था कि घर पर वह चिंतित रहने लगा था. पीयूष ने साइबर सिक्योरिटी कोर्स की भी पढ़ाई की है और इस काम में वह निपुण भी है.

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पुलिस ने की पुष्टि
अधिकारियों ने बताया कि उसके लापता होने के सात दिन पिता अनूप सिंह ने 27 मार्च को जयपुर के सदर थाना में एक शिकायत दर्ज कराई. इस पर जयपुर पुलिस की एक टीम द्वारा बुधवार को उसे मरकज से वापस लाया गया. सदर थाना के एसएचओ राजेंद्र सिंह शेखावत ने इसकी पुष्टि की. हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि पीयूष का आचरण और उसके हाव-भाव संदिग्ध हैं. उसका कुछ नहीं बोलना और खोया-खोया रहना ब्रेन वॉश का असर भी हो सकता है. फिलहाल पुलिस पीयूष के सामान्य होने का इंतजार कर रही है. उसके बाद ही पूछताछ में सामने आएगा कि वह किसके कहने पर तब्लीगी जमात में शामिल हुआ और क्यों नाम बदल कर रह रहा था.