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जीएसटी पर 29 मार्च को लोकसभा में होगी चर्चा, मौजूदा सत्र में पारित कराएगी बिल, 1 जुलाई को होना है लागू

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को जीएसटी विधेयक को संसद के सदन में रखा और सरकार इसे गुरुवार तक पारित करवा लेना चाहती है।

Updated on: 28 Mar 2017, 08:36 AM

नई दिल्ली:

देश के सबसे बड़े कर सुधार की दिशा में एक कदम और बढ़ गया। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को जीएसटी विधेयक को संसद के सदन में रखा। लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा 29 मार्च को की जाएगी। चर्चा के लिये 7 घंटे का समय तय किया गया है।

इस विधेयक पर लोकसभा में चर्चा की जाएगी और सरकार की कोशिश है कि इसे गुरुवार तक पारित करा लिया जाए। उसके बाद इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक के बजट सत्र में पारित होने से इसे तय समय के अनुसार जुलाई में लागू कर दिया जाएगा।

जीएसटी विधेयक जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा। हालांकि, उद्योग जगत ने इस कदम का स्वागत करते हुए एक जुलाई को लागू करने की इसकी तिथि को आगे बढ़ाने की अपील की है, ताकि वे इसे लेकर तैयार हो सके।

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केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक 2017 पेश किया। इसके साथ ही जीएसटी से संबद्ध तीन अन्य विधेयकों को भी पेश किया गया। केंद्रीय जीएसटी विधेयक 2017 कर वसूली, केंद्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर सामानों, सेवाओं या दोनों पर कर संग्रह की व्यवस्था करेगा।

जेटली ने इसके अलावा समेकित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 को भी सदन में पेश किया, जिससे राज्य के भीतर आपूर्ति पर कर संग्रह का प्रावधान होगा।

जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक भी पेश किया, जिसके तहत जीएसटी लागू होने पर राज्यों के राजस्व घाटे पर मुआवजा दिया जाएगा।

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इसके साथ ही केंद्र प्रशासित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 भी पेश किया गया, जिसमें राज्य में सामानों, सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर कर संग्रह का प्रावधान है।

सीजीएसटी विधेयक में केंद्र सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवाओं की राज्य के भीतर आपूर्ति पर कर की वसूली का प्रावधान है, जबकि आईजीएसटी विधेयक में अंर्तराज्यीय वस्तु एवं सेवाओं पर कर की वसूली का प्रावधान किया गया है।

इसी प्रकार से यूटीजीएसटी विधेयक में केंद्र शासित प्रदेशों जैसे अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दमन और दीव तथा दादरा और हवेली में जहां उनकी अपनी विधानसभाएं नहीं हैं, वहां केंद्र सरकार द्वारा कर लगाने और उसे वसूलने का प्रावधान किया गया है।

मुआवजा विधेयक में राज्यों को पांच साल के लिए जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व में हुई हानि को लेकर केंद्र सरकार द्वारा मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।

जीएसटी विधेयक में लेवी तथा सभी तरह के अंतर्राज्यीय करों, उत्पाद शुल्क, ऑक्टराई, मूल्य वर्धित कर (वैट) आदि को समाहित कर दिया गया है। अब इसके बजाए वस्तुओं और सेवाओं के लिए केवल जीएसटी ही चुकाना होगा।

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जीएसटी में करों की दरों को चार स्तरीय रखा गया है। जीएसटी परिषद ने करों की दरों को 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी के ढांचे में रखने की मंजूरी दी है। वहीं, इसमें करों की अधिकतम दर 40 फीसदी तक रखने की बात कही गई है, लेकिन उसे केवल वित्तीय आपातकाल के मौके पर ही लागू किया जाएगा।

कांग्रेस सांसद के.सी.वेणुगोपाल ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह विधेयक सूचीबद्ध कार्यवाही का हिस्सा नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह विधेयक पेश किए जाने का विरोध नहीं कर रहे हैं।

संसदीय मामलों के राज्यमंत्री एस.एस.अहलूवालिया ने कहा कि इन विधेयकों को शुक्रवार रात अनुमति दी गई और सप्ताहांत के दौरान लोकसभा सचिवालय बंद रहा। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को शुक्रवार आधी रात को सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

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कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के असदुद्दीन ओवैसी और तृणमूल नेता सौगत रॉय सहित कई विपक्षी सदस्यों ने जीएसटी विधेयकों को पेश किए जाने के तरीके का विरोध किया।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, "इन चारों विधेयकों को शनिवार को वितरित किया गया, लेकिन आज (सोमवार) की कार्यवाही के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया।"

इन विधेयकों को बाद में सोमवार को सदन की कार्यवाही की पूरक सूची में सूचीबद्ध कर दिया गया।

वैश्विक एकाउंटिंग फर्म पीडब्ल्यूसी इंडिया के इनडायरेक्ट टैक्स लीडर प्रतीक जैन का कहना है, "अगले चरण के रूप में, उद्योग को आशा है कि विभिन्न क्षेत्रों के महत्वपूर्ण मुद्दों की जांच कर उन पर सिफारिशों प्रदान करने के लिए पिछले सप्ताह गठित कार्यदल समूहों को पर्याप्त समय दिया जाएगा।"

उन्होंने कहा, "इसे लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर काफी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। इसलिए एक सितंबर से जीएसटी को लागू करना अच्छा रहेगा, ताकि इस विशाल परिवर्तन की तैयारी के लिए उद्योग-जगत को और वक्त मिल जाए।"

केपीएमजी के भारत में भागीदार (अप्रत्यक्ष कर) संतोष दलवी ने एक बयान में कहा, "उम्मीद है कि वस्तुओं और सेवाओं के वर्गीकरण आदि को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा, ताकि उद्योग जगत को और खासतौर से आईटी क्षेत्र के कारोबारियो को तैयारी के लिए पर्याप्त वक्त मिल सके।"

उन्होंने आगे कहा, "इसे 1 जुलाई, से लागू करने की आधिकारिक घोषणा की गई है। इससे निश्चित रूप से उद्योग जगत को तैयारी करने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह कार्यान्वयन की तिथि को लेकर स्पष्टता प्रदान करती है।"

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