logo-image

कई मांगों पर सरकार का रुख नरम, किसान कानून वापसी पर अड़े

कानून सरकार भले वापस नहीं लेगी, लेकिन किसानों की जिद को देखते हुए कुछ पहलुओं पर नए उपाय करने की तैयारी है.

Updated on: 04 Dec 2020, 06:40 AM

नई दिल्ली:

किसान आंदोलन को सुलझाने के लिए विज्ञान भवन में गुरुवार को हुई चौथे दौर की बैठक भले किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी, लेकिन मांगों को लेकर सरकार का रुख पहले से नरम हुआ है. तीनों कानूनों को लेकर किसानों के तेवर को देखते हुए केंद्र सरकार कई विषयों पर विचार करते हुए बीच का रास्ता निकालने की दिशा में आगे बढ़ गई है. कानून सरकार भले वापस नहीं लेगी, लेकिन किसानों की जिद को देखते हुए कुछ पहलुओं पर नए उपाय करने की तैयारी है. 

नए कानून से मंडियों को लेकर उपजी आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार व्यापारियों के रजिस्ट्रेशन की पहल करने की सोच रही है. गुरुवार को सकारात्मक माहौल में देर तक चली बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि पांच दिसंबर की बैठक निर्णायक होने वाली है. उधर, किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें बीच का रास्ता नहीं चाहिए, बल्कि वे तीनों कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन चलाएंगे.

यह भी पढ़ेंः फिर बेनतीजा रही वार्ता, 5 दिसंबर को होगी अगली बैठकHighlights

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश की मौजूदगी में गुरुवार को साढ़े 12 बजे से विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चौथे दौर की बातचीत शुरू हुई. यह बैठक करीब सात घंटे तक चली. सरकार के अनुरोध पर इस बैठक में सभी किसान प्रतिनिधि तीनों कानूनों पर अपनी आपत्तियों को लिखकर ले गए थे, जिससे प्वाइंट टू प्वाइंट बातचीत में आसानी रही.

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान नेताओं से कहा, 'सरकार खुले मन से चर्चा कर रही है. आप अपने मन से यह बात निकाल दें कि सरकार किसानों को लेकर किसी तरह का इगो रखती है. किसान भाइयों के साथ सरकार खड़ी है. वार्ता के जरिए ही सकारात्मक परिणाम सामने आ सकता है.' तीनों मंत्रियों ने सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से पहले कानून को लेकर मन में उठने वाले सवाल पूछे. लगभग सभी किसान प्रतिनिधियों ने सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों को हटाने के साथ प्रदूषण के लिए जुर्माने के नियम को निरस्त करने की मांग की. किसानों ने आगे आने वाले इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट एक्ट पर भी नाराजगी जाहिर की.

यह भी पढ़ेंः  कृषि कानून को वापस नहीं लेगी सरकार, दिए साफ संकेत

किसान नेताओं ने मंडियों और एमएसपी के खत्म होने को लेकर आशंकाएं व्यक्त की, जिस पर कृषि मंत्री तोमर ने उनकी सभी मांगों पर सरकार के विचार करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पहले की तरह जारी रहेगा. सरकार इस बात पर विचार करेगी कि एमपीएमसी सशक्त हो तथा इसका उपयोग और बढ़े. नए कृषि कानून में, एपीएमसी की परिधि के बाहर निजी मंडियों का प्रावधान होने से इन दोनों में कर की समानता के संबंध में भी विचार किया जाएगा. कृषि उपज का व्यापार मंडियों के बाहर करने के लिए व्यापारी का रजिस्ट्रेशन होने के बारे में भी विचार होगा. विवाद के हल के लिए एसडीएम या न्यायालय, क्या व्यवस्था रहे, इस पर विचार किया जाएगा.

किसानों ने कॉट्रैक्ट फार्मिग को लेकर भी आशंकाएं व्यक्त की. इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि किसान की जमीन की लिखा-पढ़ी करार में किसी सूरत में नहीं की जा सकती, फिर भी यदि कोई शंका है तो उसका निवारण करने के लिए सरकार तैयार है. अब पांच दिसंबर को दोपहर दो बजे से होने वाली बैठक में, किसान संगठनों की ओर से उठाए बिंदुओं पर फिर वार्ता की जाएगी. कृषि मंत्री नरेंद्र को यह बैठक निर्णायक होने की उम्मीद है.