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अभी चीन को और झटका देने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें कैसे

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत-चीन के रिश्ते लगातार तल्ख होते जा रहे हैं. भारत लगातार चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है.

Updated on: 10 Aug 2020, 07:56 PM

नई दिल्ली:

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत-चीन के रिश्ते लगातार तल्ख होते जा रहे हैं. भारत लगातार चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है. इसी के तहत केंद्र सरकार चीन के एप्स से लेकर कई चीजों के आयात पर पाबंदी लगा चुकी है. भारत की कई परियोजनाओं में चीन की हिस्सेदारी खत्म कर दी गई है. आसान शब्दों में समझें तो भारत की ओर से चीन के साथ कारोबारी संबंध धीरे-धीरे खत्म किए जा रहे हैं.

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आम भारतीय भी चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं. इसी क्रम में भारत मोबाइल, पेंसिल, सोलर पैनल, कैमरा समेत 327 चीजों के चीन से आयात पर रोक लगाने के लिए विकल्प की तलाश कर रहा है. ये 327 चीजें चीन से कुल आयात की तीन-चौथाई हैं.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन से लगातार खराब हो रहे संबंधों के बीच आत्मनिर्भर भारत बनाने का नारा भी दिया है. इन सब के बीच चीन से आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर भारत के सामने विकल्प खोजना बड़ी चुनौती है.

ये देश बन सकते हैं विकल्प

भारत चीन से मोबाइल फोन और दूसरे वॉइस डिवाइस का 11 फीसदी आयात करता है. इस समय बाजार में फ्रांस, जर्मनी, फिनलैंड, थाईलैंड और मॉरिशस जैसे देश अच्छे विकल्प के तौर पर मौजूद हैं. वहीं अमेरिका, हंग्री, चेक रिपब्लिक, बेलारूस और कोलंबिया भी इसके संभावित विकल्प के रूप में आ सकते हैं. इलेक्ट्रिकल सामान, एलईडी, फोटोसेंसिटिव प्रोडक्ट के 3.4 फीसदी आयात के लिए भारत अभी भी चीन पर निर्भर है.

ये आयात कोरिया और इटली से भी हो सकता है. जापान, बेलारूस और अमेरिका भी इसके स्रोत हो सकते हैं. ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन के लिए भारत 3.2 फीसदी आयात चीन से करता है, जिसकी जरूरत नीदरलैंड और कनाडा से भी पूरी की जा सकती है.