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सावधान! कोरोना का नया वैरिएंट है बेहद खतरनाक, देश में तीसरी लहर का खतरा बढ़ा

देश में महामारी कोरोनावायरस के नए वैरिएंट डेल्ट प्लस ने पांव पसारना शुरू कर दिया है. कई राज्यों से इस नए वैरिएंट के मामले सामने आए हैं. विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि डेल्ट प्लस देश में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है.

Updated on: 23 Jun 2021, 08:15 AM

highlights

  • देश के कई राज्यों में कोरोना का नया वैरिएंट डेल्टा प्लस के मामले मिल चुके हैं
  • डेल्टा प्लस के मामले अबतक भारत समेत कुल 9 देशों में मिला चुका है
  • डेल्टा प्लस में अतिरिक्त म्यूटेंट K417N है, जो डेल्टा (B.1.617.2) को डेल्ट प्लस में बदल देता है

नई दिल्ली:

देश में महामारी कोरोनावायरस के नए वैरिएंट डेल्ट प्लस ने पांव पसारना शुरू कर दिया है. कई राज्यों से इस नए वैरिएंट के मामले सामने आए हैं. विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि डेल्ट प्लस देश में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है. कोरोना का ये बदलता रूप बेहद ही खतरनाक बताया जा रहा है. बता दें कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का कारण डेल्टा वैरिएंट ही था. नया कोरोना वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट ((B.1.617.2) का म्यूटेशन है. डेल्टा प्लस के मामले अबतक भारत समेत कुल 9 देशों में मिला चुका है. इन देशों में नेपाल, चीन, पुर्तगाल, रूस, पोलैंड, यूके, जापान और स्विजरलैंड हैं.

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नया वैरिएंट वैक्सीन को भी दे सकता है धोखा

वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन और इंफेक्शन इम्यूनिटी को भी डेल्टा प्लस वैरिएंट धोखा दे सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट इम्यूनिटी और वैक्सीन के साथ-साथ पहले के इंफेक्शन से विकसित इम्यूनिटी को भी चकमा दे सकता है. डेल्टा प्लस में वो सारे लक्षण है जो डेल्टा वैरिएंट में थे. इसके अलावा K417N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं.

उन्होंने कहा कि हमें यह अच्छे से पता है कि वैक्सीन का असर बीटा वैरिएंट पर कम है. बीटा वैरिएंट वैक्सीन को चकमा देने में अल्फा और डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा तेज है. यह तथ्य भी है कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की खेप वापस कर दी थी उनका कहना था कि यह वैक्सीन वहां वायरस के वैरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं थी.

मोनोक्लोनल एंटीबाडी काकटेल का भी नहीं होगा असर

विशेषज्ञों के मुताबिक, नए कोरोना वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबाडी काकटेल का भी असर नहीं होगा. कोरोना इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंडीबॉडी थेरेपी काफी उपयोग में लाया जा रहा है. मोनोक्लोनल एंटीबाडी थेरेपी में एक ऐसी दवा का इस्तेमाल किया जाता है जो संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में प्राकृतिक रूप से बनी एंटीबाडी की नकल करती है.

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डेल्टा प्लस पर डॉक्टर्स की राय

एम्स के डॉक्टर के मुताबिक कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस में अतिरिक्त म्यूटेंट K417N है, जो डेल्टा (B.1.617.2) को डेल्ट प्लस में बदल देता है. ऐसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह म्यूटेंट अधिक संक्रामक है और यह अल्फा संस्करण की तुलना में 35-60% अधिक संक्रामक है. लेकिन भारत में इसकी संख्या बहुत कम है. ये अभी अधिक चिंता का विषय नहीं है क्योंकि इसके मामले अभी कम हैं.

नए वैरिएंट का पता लगने के बारे में सार्वजनिक चर्चा के संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पाल ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट अभी तक चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है. डॉ. पाल ने कोविड-19 के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति यह है कि एक नया वैरिएंट पाया गया है. अभी तक यह वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट(वीओआई) यानी रुचि का वैरिएंट है और अभी तक यह वैरिएंट ऑफ कनसर्न (वीओसी) यानी चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है. वीओसीऐसा है जिसमें हम समझ चुके हैं कि मानवता के प्रतिकूल परिणाम हैं, जो बढ़ती संक्रामकता या विषैलापन के कारण हो सकते हैं. हम डेल्टा प्लस वैरिएंट के बारे में यह नहीं जानते हैं.

नए वैरिएंट को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों को किया अलर्ट

वहीं  केंद्र ने देश के कुछ जिलों में सार्स-सीओवी-2 के डेल्टा प्लस वैरिएंट पाए जाने के बाद महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को इसके बारे में सतर्क कर दिया है और सावधानी बरतने की सलाह दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इन तीन राज्यों को सूचित किया है कि डेल्टा प्लस संस्करण महाराष्ट्र के रत्नागिरि और जलगांव जिलों, केरल के पलक्कड़ और पठानमथिट्टा जिलों और मध्य प्रदेश के भोपाल और शिवपुरी जिलों से प्राप्त जीनोम अनुक्रमित नमूनों में पाया गया है.

केंद्र सरकार ने इन राज्यों को इंसाकॉग के हालिया निष्कर्षो के बारे में सचेत किया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत कोविड-19 के संदर्भ में संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण के लिए 28 प्रयोगशालाओं का एक संघ है.

केंद्र ने तीन राज्यों के मुख्य सचिवों को सलाह दी है कि वे जिलों और समूहों में तत्काल रोकथाम के उपाय करें, जिसमें भीड़ को रोकना और लोगों को आपस में मिलाना, व्यापक परीक्षण करना और शीघ्र ट्रेसिंग के साथ-साथ वैक्सीन कवरेज भी शामिल है.