किसानों ने रखी अब नई मांग, सीधे प्रधानमंत्री से बात करने का राग अलापा

ठंड लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन खुले मैदान में किसानों का जोश ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है. बीते 10 दिनों से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं.

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Dalchand Kumar
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किसानों ने रखी अब नई मांग, सीधे प्रधानमंत्री से बात करने का राग अलापा( Photo Credit : फाइल फोटो)

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. ठंड लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन खुले मैदान में किसानों का जोश ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है. बीते 10 दिनों से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं. बढ़ते वक्त के साथ किसानों का प्रदर्शन भी तेज होता जा रहा है. हालांकि इस मसले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार प्रयास कर रही है. अब तक 4 दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. किसान कानूनों को खत्म करने की अपनी मांग पर अड़े हैं.

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इस बीच किसानों ने अब नई मांग करनी शुरू कर दी है. किसानों का कहना है कि अब बातचीत सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होनी चाहिए. वहीं दूसरी और किसान यह भी कह रहे हैं कि अगर आज की बातचीत विफल रही तो वह यहां से दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. किसानों का कहना है कि वह चाहते हैं कि तीनों कानून वापस हों, इससे कम में किसान मानने वाले नहीं. किसानों संगठनों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को 'भारत बंद' का भी ऐलान किया है.

किसानों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे. सरकार के साथ आज होने वाली पांचवें दौर की बातचीत से पहले किसानों का रुख और सख्त हो गया है. इतना ही नहीं, आज किसान केंद्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन भी करेंगे.

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दरअसल, किसान समुदाय को आशंका है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की अनुकंपा पर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि सरकार लगातार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पर राजनीति भी जमकर हो रही है. तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और अपने-अपने हितों को साधने के लिए किसानों के आंदोलन को समर्थन देने में लगे हैं.

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