logo-image

क्या अब किसानों की मांग होगी पूरी? अमित शाह और तोमर के बीच ढाई घंटे चला मंथन का दौर

मोदी सरकार की ओर से भेजे गए कृषि कानूनों में संशोधन प्रस्ताव को किसान नेताओं ने खारिज कर दिया है. आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि कानूनों को रद्द किया जाए. संशोधन प्रस्ताव मंजूर नहीं है.

Updated on: 09 Dec 2020, 10:59 PM

नई दिल्ली :

मोदी सरकार की ओर से भेजे गए कृषि कानूनों में संशोधन प्रस्ताव को किसान नेताओं ने खारिज कर दिया है. आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि कानूनों को रद्द किया जाए. संशोधन प्रस्ताव मंजूर नहीं है. वहीं, प्रस्ताव के खारिज होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठक हुई. 

बुधवार शाम गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक की. अमित शाह के आवास पर करीब ढाई घंटे तक बैठक चली. सरकार के प्रस्ताव को किसान संगठनों के खारिज करने के बाद यह बड़ी बैठक हुई है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तोमर ने शाह से अपनी मुलाकात के दौरान किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को समाप्त किए जाने के रास्तों पर चर्चा की

इधर, सरकार के प्रस्ताव खारिज करने के बाद किसानों ने आंदोलन और तेज करने की बात कही है. किसान शनिवार को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे को बंद करेंगे तथा 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कर आंदोलन को तेज करेंगे.

इसे भी पढ़ें:महाराष्ट्र कैबिनेट ने दी शक्ति कानून को मंजूरी, मृत्युदंड का प्रावधान

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है और ‘संयुक्त किसान समिति’ ने बुधवार को अपनी बैठक में इसे “पूरी तरह खारिज” कर दिया. किसान संघ के नेताओं ने प्रस्ताव को देश के किसानों का “अपमान” करार दिया. उन्होंने हालांकि कहा कि सरकार अगर वार्ता के लिये नया प्रस्ताव भेजती है तो वे उस पर विचार कर सकते हैं. सरकार और किसान संघ के नेताओं के बीच आज होने वाली छठे दौर की बातचीत को रद्द कर दिया गया था.

और पढ़ें: 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाईवे को किसान करेंगे बंद

संघ के नेताओं के मुताबिक उत्तर भारत के सभी किसानों के लिये 14 दिसंबर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया गया है जबकि दक्षिण में रहने वाले किसानों से जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के लिये कहा गया है.उन्होंने कहा कि देश के सभी टोल प्लाजा को 12 दिसंबर को ‘टोल-फ्री’ (कर मुक्त) किया जाएगा.