किसानों की मांग पर सरकार गंभीर नहीं, और तेज होगा आंदोलन
किसानों की अगुवाई करने वाले संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार किसानों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है.
highlights
- आंदोलनरत किसानों का आरोप मांगों पर सरकार गंभीर नहीं
- आने वाले दिनों को लेकर आंदोलन की विस्तृत रूपरेखा जारी
- हालांकि पीएम मोदी किसानों को दे चुके हैं कई आश्वासन
नई दिल्ली:
ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के दो-दो बार बातचीत के दरवाजे खुले होने का संकेत देने के बावजूद आंदोलनरत किसान (Farmers Protest) अपनी मांगों को लेकर टस से मस नहीं हो रहे हैं. उधर विपक्ष खासकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कृषि कानूनों को किसानों के लिए अभिशाप के अपने बयान पर अड़े हैं. यह तब है जब संसद में पीएम मोदी साफ कर चुके हैं कि इन कानूनों (Farm Laws) से न तो किसानों की जमीन जाएगी और ना ही मंडियां खत्म होंगी. यही नहीं, वह एमएसपी को लेकर भी साफ कर चुके हैं कि एमएसपी था, है और आगे भी रहेगा. सरकार और विपक्ष के बीच कृषि कानूनों पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच तीन कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद हुए किसानों की अगुवाई करने वाले संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार किसानों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है.
किसान नेताओं का आरोप मांगों पर सरकार गंभीर नहीं
मोर्चा की ओर से जारी एक बयान में किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि किसानों की मांग कर्जा मुक्ति और (फसलों का) पूरा दाम की रही है, जिस पर सरकार गंभीर नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसान केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल सितंबर में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और किसान सेवा पर करार अधिनियम 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की मांग कर रहे हैं. इस बीच किसान महापंचायतों का दौर लगातार जारी है. मोर्चा ने बताया कि गुरुवार को पंजाब के जगरांव में विशाल सभा का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों के साथ साथ अन्य नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखाई. सिंघु बॉर्डर पर भी किसानों ने पंचायत की. सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं ने मंच से संबोधन करते हुए सयुंक्त किसान मोर्चे के आगामी कार्यक्रमों को लागू करवाने संबंधी विचार रखे.
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महापंचायतों का कार्यक्रम जारी
मोर्चा की तरफ आगे 12 फरवरी से लेकर 23 फरवरी के दौरान की जाने वाली महापंचायतों के कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है. साथ ही रेल रोको आंदोलन की रूपरेखा भी जारी कर दी गई है. आने वाले समय मे देशभर में किसान महापंचायत आयोजित की जाएगी. मोर्चे की टीमें राज्यवार महापंचायतो के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर रही है. सयुंक्त किसान मोर्चा तीन कानूनों को रद्द करने और MSP को कानूनी मान्यता देने की मांगो पर कायम है. आने वाले दिनों में किसान महापंचायतों का विवरण इस तरह है. 12 फरवरी 11 बजे बिलारी, मुरादाबाद. 12 फरवरी 1 बजे पीडीएम कॉलेज बहादुर गढ़. 18 फरवरी रायसिंह नगर, श्री गंगानगर, राजस्थान. 19 फरवरी हनुमानगढ़, राजस्थान. 23 फरवरी सीकर, राजस्थान में महापंचायत होनी है.
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राकेश टिकैत पंचायतों में जुटा रहे समर्थन
बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत गुरुवार से अलवर के दौरे पर हैं. इस दौरान टिकैत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा- आपको अब रोने की जरूरत नहीं, पूरा देश आपके साथ है. हल चलाने वाला हाथ नहीं जोड़ेगा. हम ही किसान हैं, हम ही जवान हैं. अनाज तिजोरी में बंद नहीं होगा. राकेश टिकैत ने कहा कि भूख का व्यापार करने वाले लोग हैं. जितनी तेज भूख उतनी कीमत. रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे. बाजार की वस्तु नहीं बनने देंगे. जब तक पूरे देश में एमएसपी पर खरीद नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को हरियाणा और पंजाब का आंदोलन बता रही है. बीजेपी वाले कह रहे कि यह नुक्कड़ की दुकान करने वाले का आंदोलन है.
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