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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विदाई समारोह में सांसदों को दी सदन की गरिमा कायम रखने की नसीहत

संसद भवन के सेंट्रल हॉल में मुखर्जी के लिए फेयरवेल समारोह का आयोजन होगा जहां दोनों सदन राज्यसभा और लोकसभा के सांसद मौजूद होंगे।

Updated on: 23 Jul 2017, 06:59 PM

highlights

  • राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पीएम और सांसद देंगे विदाई
  • 25 जुलाई को रामनाथ कोविंद लेंगे राष्ट्रपति पद की शपथ

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को रविवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में विदाई दी गई। उनके लिए आयोजित इस सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राज्यसभा और लोकसभा के सांसद मौजूद थे। विदाई समारोह में प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर का उल्लेख करते हुए कहा कि वह भावुक महसूस कर रहे हैं।

प्रणब मुखर्जी ने इस मौके पर भविष्य में सांसदों को सदन की गरिमा कायम रखने की भी नसीहत दी और कहा कि उन्होंने अपने संसदीय जीवन में इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और लालकृष्ण आडवाणी से काफी कुछ सीखा। 

इससे पहले शनिवार की रात पीएम मोदी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्मान में रात्रिभोज का भी आयोजन किया था। प्रणब मुखर्जी का आधिकारिक कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होगा। 25 जुलाई को चुने हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे।

इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस से अपने राजनीति की शुरुआत करने वाले प्रणब मुखर्जी का बतौर राष्ट्रपति कार्यकाल बेहद शानदार रहा। इस दौरान मुखर्जी का एक भी विवाद से नाम नहीं जुड़ा। तीन साल मोदी सरकार के साथ काम करने के बावजूद भी कभी केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के बीच उन्होंने टकराहट की स्थिति पैदा होने नहीं दी जो निश्चित तौर पर उनके लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

Live Updates

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आपने राष्ट्रपति भवन का लोकतांत्रीकरण किया है और इसके लिए कई कदम उठाए हैं: सुमित्रा महाजन

राष्ट्रपति से ज़्यादा लेखक और चिंतक के रूप में आपने हमेशा मार्गदर्शन किया है: सुमित्रा महाजन

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पश्चिम बंगाल के एक गांव से राष्ट्रपति पद तक का सफर प्रेरक है: लोकसभा स्पीकर, सुमित्रा महाजन

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुआ था और वहीं से उन्होंने अपने राजनीति की भी शुरूआत की थी। यूपीए सरकार में उन्होंने वित्त मंत्रालय से लेकर रक्षा मंत्रालय जैसे अहम पदों को भी संभाला।

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राष्ट्रुपति पद पर बने रहने के दौरान प्रणब मुखर्जी ने अलग हटकर काम किया। उन्होंने राष्ट्रपति या राज्यपाल के नाम के आगे महामहिम शब्द के इस्तेमाल को हटा दिया। इसके साथ ही राष्ट्रपति भवन परिसर में बने स्कूल में उन्होंने बच्चों को भी पढ़ाया।

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