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पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एलएसी पर जारी तनातनी के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की टीम ने स्वदेशी विकसित स्मार्ट ‘एंटी-एयरफील्ड’ हथियार के राजस्थान के जैसलमेर में संयुक्त रूप से दो सफल परीक्षण किए हैं

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एलएसी पर जारी तनातनी के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की टीम ने स्वदेशी विकसित स्मार्ट ‘एंटी-एयरफील्ड’ हथियार के राजस्थान के जैसलमेर में संयुक्त रूप से दो सफल परीक्षण किए हैं

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Mohit Sharma
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DRDO ( Photo Credit : फाइल फोटो)

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय वायु सेना (IAF) ने स्वदेशी विकसित स्मार्ट ‘एंटी-एयरफील्ड’ हथियार के राजस्थान के जैसलमेर में संयुक्त रूप से दो सफल परीक्षण किए हैं. रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी. जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज एक बार फिर भारत के ताकतवर बनने की साक्षी बनी है। यह वेपन एक तरह की मिसाइल ही है, जो जगुआर फाइटर प्लेन में लगता है। इससे पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की टीम ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से एक एरियल प्लेटफॉर्म से स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्ग-रेंज बम (एलआरबी) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था.

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देश में पहली बार हुआ इस तकनीक का इस्तेमाल

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उपग्रह नेविगेशन और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर पर आधारित दो अलग-अलग उपकरणों का सफल परीक्षण किया गया है. इस तरह के बम का इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर आधारित उड़ान परीक्षण देश में पहली बार किया गया है। इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है.

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उच्च सटीकता के साथ लगाया टारगेट पर निशाना

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस गाइडेड बम को सटीक नेविगेशन प्रणाली की मदद से जगुआर विमान के जरिए छोड़ा गया. यह बम 100 किलोमीटर की रेंज से आगे सटीक तौर पर पहुंचा. सिस्टम का इलेक्ट्रो ऑप्टिकल कॉन्फिगरेशन इमेजिंग इंफ्रा-रेड सीकर तकनीक से लैस है। जो हथियार की सटीक मारक क्षमता को बढ़ाता है। दोनों परीक्षणों में टारगेट को सटीकता के साथ हिट कर मारा गया. सिस्टम को अधिकतम 100 किलोमीटर की दूरी के लिए डिजाइन किया गया है.

इससे पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की टीम ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से एक एरियल प्लेटफॉर्म से स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्ग-रेंज बम (एलआरबी) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. डीआरडीओ की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, "भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान से दागे जाने के बाद बम को निर्दिष्ट सीमाओं के भीतर सटीकता के साथ लंबी दूरी पर स्थित भूमि-आधारित लक्ष्य के लिए निर्देशित किया गया."

Source : News Nation Bureau

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