पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन बांटे, फिर भी 8 लाख लोग मर रहे घरेलू वायु प्रदूषण से
क्लीन एयर पॉलिसी सेंटर की एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि घरेलू वायु प्रदूषण देश भर में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है.
highlights
- 8 लाख लोग हर साल मर रहे हैं ठोस ईंधन से होने वाले घरेलू वायु प्रदूषण से.
- अभी भी 16 करोड़ घरों में खाना पकाने के लिए इस्तेमाल हो रहा ठोस ईंधन.
- मोदी 2.0 को उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की संख्या होगी बढ़ानी.
नई दिल्ली.:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Distress) के संकटग्रस्त होने और गरीबों की अनदेखी से जुड़े विपक्ष (Opposition) के आरोपों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा केंद्र में सत्तारूढ़ हुई है. सत्ता में दोबारा वापसी करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार (Non Congress Government) बनने के पीछे राजनीतिक पंडित मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना संग अन्य कल्याणकारी योजनाओं को काफी हद तक जिम्मेदार बताते हैं. केंद्र सरकार का दावा है कि उसने उज्ज्वला योजना (Ujjawala Yojna) के तहत 8 करोड़ से भी ज्यादा मुफ्त गैस कनेक्शन बांटे हैं. इस बात का जिक्र खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कई राजनीतिक रैलियों समेत संवाद के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर किया है. हालांकि एक हालिया रिपोर्ट केंद्र सरकार के इस दावे से इत्तेफाक नहीं रखती है. विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) पर क्लीन एयर पॉलिसी सेंटर की एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि घरेलू वायु प्रदूषण देश भर में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है.
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16 हजार घरों में इस्तेमाल हो रहा ठोस ईंधन
घरेलू वायु प्रदूषण (Household Air Pollution) खाना पकाने के दौरान लकड़ी, पत्तियों, गाय के गोबर से बने उपलों और कृषि अपशिष्ट पदार्थों के इस्तेमाल से होता है. ऐसे में इस रिपोर्ट के मुताबिक 16 करोड़ घरों या कहें कि 58 करोड़ लोग खाना पकाने के लिए आज भी सॉलिड फ्यूल (ठोस ईंधन) का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें भी लकड़ी का इस्तेमाल सबसे आम है. 2011 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सॉलिड फ्यूल (Solid Fuel) इस्तेमाल करने वाले घरों की संख्या 25 करोड़ थी. इसका मतलब यह हुआ कि उज्ज्वला योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद सॉलिड फ्यूल आज भी घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है.
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कहीं अधिक जहरीला है इससे होने वाला वायु प्रदूषण
इस अध्ययन में पाया गया है कि सॉलिड फ्यूल से होने वाला वायु प्रदूषण पराली के जलाने या वाहनों (Vehicles Pollution) से निकलने वाले प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक है. सॉलिड फ्यूल्स के ईंधन के रूप में इस्तेमाल से पीएम2.5, कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) और अन्य बड़ी संख्या में जहरीली गैसें (Toxic Gases) निकलती हैं. इस अध्ययन में पाया गया कि यूं तो वायु प्रदूषण से भारत में 11 लाख लोगों की सालाना मौत होती है. इनमें से भी 80 प्रतिशत यानी 8 लाख मौतें घरेलू वायु प्रदूषण से होती हैं. यही नहीं, अध्ययन में यह भी पाया गया है कि घरेलू वायु प्रदूषण की चपेट में आकर 3 लाख अन्य लोग भी मौत के ग्रास बन जाते हैं. यही नहीं, वायु प्रदूषण (Air Pollution) के लिए 52 फीसदी घरेलू वायु प्रदूषण जिम्मेदार है.
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अभी लंबा सफर तय करना है बाकी
इस अध्ययन में प्रधानमंत्री की उज्ज्वला योजना को जमकर सराहा गया है. कहा गया है कि इसने सॉलिड फ्यूल का इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या को घटाने में मदद की है. फिर भी अभी इस दिशा में और भी बहुत कछ किया जाना बाकी है. अध्ययन में उम्मीद जताई गई है कि मोदी 2.0 सरकार को इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में बिहार (Bihar), उत्तर प्रदेश (UP), मध्य प्रदेश (MP), झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम की प्रदेश सरकारों (State Governmnet) को काफी कुछ करने की जरूरत है. रिपोर्ट के मुताबिक उक्त प्रदेशों के 72 फीसदी परिवार खाना पकाने में सॉलिड फ्यूल का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.
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