सेना को 118 मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन MK-1A खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय ने दी मंजूरी
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता भारत भूषण बाबू ने बताया कि अब शामिल किए जा रहे 118 अर्जुन टैंक अतिरिक्त फीचर वाले हैं और पहले से ज्यादा मारक क्षमता वाले हैं.
highlights
- सेना के लिए 7,523 करोड़ रुपये की लागत से 118 मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन एमके 1ए की आपूर्ति की मंजूरी
- अर्जुन टैंक में केमिकल अटैक से बचने के लिए स्पेशल सेंसर लगे हैं
- डीआरडीओ ने अर्जुन टैंक की फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया है
नई दिल्ली:
'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देते हुए रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय सेना के लिए 7,523 करोड़ रुपये की लागत से 118 मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन एमके 1ए की आपूर्ति के लिए एचवीएफ को मंजूरी दे दी है. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता भारत भूषण बाबू ने बताया कि अब शामिल किए जा रहे 118 अर्जुन टैंक अतिरिक्त फीचर वाले हैं और पहले से ज्यादा मारक क्षमता वाले हैं. इनके लिए एक और बख्तरबंद रेजीमेंट बनाई जाएगी. अचूक निशाने वाले स्वदेश में निर्मित अर्जुन टैंक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को सेना को युद्धक टैंक अर्जुन (एमके-1ए) की चाबी सौंपी थी. बाद में 23 फरवरी को रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 6000 करोड़ रुपये की राशि की मंजूरी दी थी. इसी के साथ अब सेना में118 उन्नत अर्जुन टैंक शामिल किए जा रहे हैं.
Giving a further boost to ‘Make in India’ initiative, Ministry of Defence today placed an order on HVF, Avadi for the supply of 118 Main Battle Tanks Arjun Mk 1A for the Indian Army at a cost of Rs 7,523 crores: A Bharat Bhushan Babu, Principal Spokesperson, Ministry of Defence pic.twitter.com/Wz1rHAoCCi
— ANI (@ANI) September 23, 2021
डीआरडीओ ने अर्जुन टैंक की फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया है. अर्जुन टैंक में नई टेक्नोलॉजी का ट्रांसमिशन सिस्टम है. इससे अर्जुन टैंक आसानी से अपने लक्ष्य को ढूंढ लेता है. अर्जुन टैंक युद्ध के मैदान में बिछाई गई माइंस हटाकर आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम है. अर्जुन टैंक में केमिकल अटैक से बचने के लिए स्पेशल सेंसर लगे हैं. इस टैंक की वजह से जमीन पर लड़ा जाने वाला युद्ध का स्वरूप ही बदल गया. इनका पहली बार बड़े पैमाने पर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उपयोग हुआ. भारत ने भी पाकिस्तान के साथ 1965 में टैंकों का उपयोग किया. उस समय भारत के पास सेंचुरियन टैंक थे और पाकिस्तान के पास पैटन टैंक थे. अर्जुन टैंक का फिन-स्टैब्लाइज्ड डिस्करिंग सबोट सिस्टम लड़ाई के दौरान दुश्मन टैंक की पहचान करता है और उसे नष्ट कर देता है.
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2012 में मंजूरी, 2021 में मिलेगा पहला टैंक 118 उन्नत अर्जुन टैंक खरीदने को 2012 में मंजूरी दी गई थी और 2014 में रक्षा खरीद समिति ने इसके लिए 6600 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए थे. लेकिन इसकी फायर क्षमता समेत कई पक्षों पर सेना ने सुधार की मांग की थी. इस बीच सेना ने 2015 में रूस से 14000 करोड़ रुपये में 464 मध्यम वजन के टी-90 टैंक की खरीद का सौदा कर लिया था. सेना की मांग के आधार पर उन्नत किए जाने के बाद अर्जुन टैंक मार्क-1ए को 2020 में हरी झंडी मिली थी.
पहले से 124 अर्जुन टैंक हैं सेना में भारतीय सेना के बेड़े में 124 अर्जुन टैंकों की एक रेजीमेंट पहले से ही साल 2004 में शामिल की जा चुकी है, जो पश्चिमी रेगिस्तान में तैनात है. लेकिन ये अर्जुन टैंक पुराने मॉडल के हैं, जिनमें करीब 72 तरह के सुधार की आवश्यकता भारतीय सेना ने जताई थी. इसके बाद डीआरडीओ ने नए संस्करण को तैयार किया है.
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