चीन की नई हिमाकत, अरुणाचल के नजदीक ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाएगा
चीन की सरकार पहले ही इस नदी पर लगभग 11 छोटे-बड़े बांध बना चुकी है. इस कारण इस नदी का प्रवाह तंत्र भी काफी असमान हो गया है.
नई दिल्ली:
शी जिनपिंग (Xi Jinping) के नेतृत्व में विस्तारवादी चीन (China) लद्दाख (Ladakh) में भारतीय सेना से मिली मात को भूल नहीं पा रहा है. कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता के बीच वह लगातार ऐसे रास्ते ढूंढ रहा है, जो भारत के लिए समस्या पैदा कर सके. इस सोच के साथ उसकी नजर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों खासकर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) पर है. वह न सिर्फ पूर्वोत्तर में सक्रिय डेढ़ दर्जन उग्रवादी समूहों को मदद पहुंचा रहा है, बल्कि अरुणाचल सीमा के पास एयरबेस और रेल लाइन बिछाने के साथ अब एक नया बांध बनाने जा रहा है. यह बांध यारलुंग त्सांग्पो नदी पर बनाया जाएगा, जिसे भारत (India) में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है.
भारत से बढ़ सकता है विवाद
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने ऐलान किया है कि वह ब्रह्मपुत्र नदी के निचले इलाके में यह बांध बनाएगा जो भारत की सीमा के नजदीक है. चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर जिस नए डैम को बनाने की योजना बना रहा है वह उसके थ्री जॉर्ज डैम के बराबर की होगी. हालांकि अभी तक इस परियोजना को लेकर चीन ने कोई बजट जारी नहीं किया है. विशेषज्ञों के अनुसार चीन के इस नई परियोजना से भारत के साथ उसका विवाद और भी बढ़ सकता है. गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को शुरू से मान्यता देने से इंकार करता रहा है. ऐसे में संभावना है कि चीन इस बांध का उपयोग अपने रणनीतिक फायदे के लिए भी करे.
यह भी पढ़ेंः NGT का आदेश, आज रात से देश के प्रदूषित शहरों में पटाखों पर पूरी तरह बैन
चीनी बांधों से जल प्रलय
ब्रह्मपुत्र नदी चीन के कब्जे वाले तिब्बत से निकलकर भारत में अरुणाचल प्रदेश के रास्ते प्रवेश करती है. इसके बाद यह नदी असम से होते हुए बांग्लादेश में चली जाती है. चीन की सरकार पहले ही इस नदी पर लगभग 11 छोटे-बड़े बांध बना चुकी है. इस कारण इस नदी का प्रवाह तंत्र भी काफी असमान हो गया है. आम दिनों में इस नदी में पानी की मात्रा सामान्य रहती है, जबकि, बरसात के मौसम में चीन के बांध भरने के बाद प्रवाह में आई तेजी के कारण असम और बांग्लादेश को हर साल भीषण बाढ़ से जूझना पड़ता है.
ब्रह्मपुत्र के पानी से अपने सूखे क्षेत्रों की सिंचाई
चीन की सरकार शुरू से ही तिब्बत को अपने बिजली उत्पादन का एक बड़ा क्षेत्र मानती है. चीन में मौजूद कुल नदियों का एक चौथाई हिस्सा इसी क्षेत्र में स्थित है. ऐसे में चीन की नजर यहां के नदियों के पानी का भरपूर उपयोग करने पर केंद्रित है. वह बड़े-बड़े बांध बनाकर नदियों के प्रवाह तंत्र को प्रभावित कर रहा है. इसके अलावा चीन इस नदी के पानी को अपने सूखे और वीरान पड़े इलाके को सींचने में भी उपयोग कर रहा है।
यह भी पढ़ेंः दिल्ली के कई इलाकों में जानलेवा हुआ प्रदूषण, सांस लेना मुश्किल
ब्रह्मपुत्र पर 11 पनबिजली परियोजनाएं
पिछले एक दशक से चीन इस नदी के ऊपर कम से कम 11 पनबिजली परियोजनाएं संचालित कर रहा है. इनमें से सबसे बड़ी परियोजना का नाम ज़ंगमू है. यह परियोजना 2015 से अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रही है. इसके अलावा तिब्बत के बायू, जीइशी, लंग्टा, डाकपा, नांग, डेमो, नामचा और मेटोक शहरों में हाइड्रोपावर स्टेशन या तो बनाए जा रहे हैं या फिर प्रस्तावित हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य