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BJP का दक्षिण भारत में खुला 'भाग्य', ओवैसी के गढ़ में महका कमल

तेलंगाना विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल करार दिए जा रहे जीएचएमसी चुनाव केसरिया पार्टी के दक्षिण भारत में प्रभावी दस्तक बतौर देखे जा सकते हैं.

Updated on: 04 Dec 2020, 11:55 AM

हैदराबाद/नई दिल्ली:

शुक्रवार को ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों की मतगणना शुरू होने के चंद घंटों बाद ही भारतीय जनता पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भाग्य लक्ष्मी माता की फोटो ट्विटर पर शेयर की. यह संकेत हैं कि नाक का सवाल बना जीएचएमसी चुनाव दक्षिण भारत में केसरिया पताका फहराने के लिहाज से बीजेपी के लिए सूनामी बन कर आया है. शुरुआती रुझान यहां बड़े उलट-फेर का इशारा कर रहे हैं. देश के किसी भी नगर निगम चुनाव की तुलना में बीजेपी ने पूरी आक्रमकता से यहां चुनाव लड़ा. चुनाव प्रचार के लिए पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को छोड़ अपनी पूरी फौज उतार दी. इसका असर दिख रहा है और बीजेपी दक्षिण भारत के इस राज्य में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है.

रुझानों में बीजेपी को बहुमत
अगर शुरुआत रुझानों की बात करें तो बीजेपी 150 सीटों वाली ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में 85 सीटों पर आगे है. वहीं, 37 सीटों पर टीआरएस और 17 सीटों पर एआईएमआईएम आगे है. इस लिहाज से देखें तो तेलंगाना विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल करार दिए जा रहे जीएचएमसी चुनाव केसरिया पार्टी के दक्षिण भारत में प्रभावी दस्तक बतौर देखे जा सकते हैं.

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2023 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल 
हालांकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अभी काफी समय है, लेकिन उससे पहले बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे के साथ जुट गई है, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. इस नगर निगम में हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मल्काजगिरि और संगारेड्डी समेत 4 जिले आते हैं. इस नगर निगम के अंदर 24 विधानसभा सीटें और 5 लोकसभा सीटें आती हैं. 82 लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र तेलंगाना में बीजेपी की भविष्य की रणनीति का हिस्सा है. फिलहाल तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास महज 2 सीट है जबकि 17 लोकसभा सीटों में से उसके 4 सांसद हैं.

कर्नाटक के बाद तेलंगाना बीजेपी के लिए अच्छा संकेत
अगर देखा जाए तो दक्षिण भारत अभी भी बीजेपी के लिए मुश्किल चुनौती सरीखा बना हुआ है. कर्नाटक को छोड़ दें तो आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल में बीजेपी का प्रभाव अधिक नहीं है. अपने दम पर बीजेपी खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी है. चुनावों में अन्य दलों के साथ गठबंधन करके ही बीजेपी कुछ सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है. इसलिए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में परचम लहराकर दक्षिण भारत के अभियान को मजबूत करना चाहती है.

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बीजेपी ने बेहतर ही की है अपनी उपस्थिति
हालांकि पिछले दो साल में बीजेपी ने तेलंगाना में अपनी स्थिति बेहतर की है. 2018 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पाने वाली बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर कब्जा जमा लिया. इसके साथ ही कई सीटों पर पहले से बेहतर स्थिति रही. टीआरएस पर भ्रष्टाचार और वंशवाद के आरोपों के साथ ही ओवैसी की एआईएमआईएम की स्थिति भी हैदराबाद से बाहर मजबूत नहीं है. ऐसे में बीजेपी सही मौके का फायदा उठाते हुए जड़ें जमाना चाहती है.

पिछली बार का लेखा-जोखा
हैदराबाद नगर निगम में कुल वार्ड 150 हैं. सत्तारूढ़ टीआरएस सभी 150 वार्ड पर चुनाव लड़ रही है. बीजेपी 149 वार्ड, कांग्रेस 146 वार्ड पर, टीडीपी 106 वार्ड पर, एमआईएम 51 पर, सीपीआई 17 पर, सीपीएम 12 पर और दूसरे दल 76 वार्ड पर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले 2016 में हुए पिछले चुनाव में सत्तारूढ़ दल टीआरएस के 99 और ओवैसी की एआईएमआईएम के 44 सीटों पर, जबकि बीजेपी को महज 5 सीटों पर ही जीत मिली थी. वहीं कांग्रेस ने सिर्फ 2 वार्ड जीते थे.