मोदी कैबिनेट में बिहार से दो मंत्री, लेकिन JD-U को नहीं मिली कोई जगह
नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल से सबसे बड़ा झटका हाल ही में एनडीए (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हुई जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू) को लगा है।
highlights
- नरेंद्र मोदी कैबिनेट फेरबदल में 9 नए मंत्रियों को मिली जगह
- मंत्रिमंडल में हाल ही में NDA में शामिल जेडी-यू को कोई जगह नहीं मिली है
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल से सबसे बड़ा झटका हाल ही में एनडीए (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हुई जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू) को लगा है। हालांकि इस फेरबदल में बिहार से दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है।
मोदी मंत्रिमंडल में आरा से सांसद आर के सिंह और बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे को जगह दी गई है।
समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक मोदी कैबिनेट में कुल 9 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है लेकिन इसमें नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को जगह नहीं दी गई है।
पार्टी प्रेसिडेंट अमित शाह ने सहयोगी दलों विशेषकर जनता दल-यूनाइटेड को सिरे से नजरअंदाज कर दिया, जबकि नीतीश कुमार बड़ा 'राजनीतिक जोखिम' लेते हुए महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हुए हैं।
नीतीश की एनडीए में वापसी ने मोदी और शाह को उस सियासी झटके से उबरने में मदद दी, जो उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में लगा था, जब नीतीश की अगुवाई में जेडी-यू, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के महागठबंधन ने बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए को करारी शिकस्त दी थी।
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बीजेपी को बिहार में यह झटका उस वक्त लगा, जब पार्टी देश में 'मोदी लहर' का दावा करते नहीं थक रही थी।
यही वजह रही कि जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया तो कुछ ही घंटों के भीतर बीजेपी ने उन्हें समर्थन देने का ऐलान किया और अमित शाह ने नीतीश कुमार को एनडीए का सह-संयोजक की जिम्मेदारी लिए जाने की अपील की।
यह अनायास ही नहीं था कि मंत्रिमंडल विस्तार में जेडी-यू कोटे से दो मंत्रियों को शामिल किए जाने की अटकलें सबसे ज्यादा जोरों पर थी। यहां तक कि पार्टी के नेता भी इसकी उम्मीद लगाए बैठे थे।
जेडी-यू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा, 'अगर शामिल होते तो ज्यादा अच्छा होता। बिहार के लिए अच्छा होता।'
हालांकि बीजेपी ने जेडी-यू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी सहित नौ नए चेहरे रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दे दी।
कैबिनेट में फेरबदल से पहले संभावित मंत्री पद के बारे में पूछे जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें कैबिनेट विस्तार की कोई जानकारी नहीं है। जिस पर अब यकीन किया जा सकता है।
मौजूदा मंत्रिमंडल विस्तार के बाद यह बात साफ हो गई है कि बीजेपी ने इस पूरी प्रक्रिया में सहयोगी दलों को विमर्श के दायरे से बाहर रखा।
जाहिर तौर पर पार्टी ने इस फेरबदल में जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए बिहार से दो नेताओं आर के सिंह (आरा से सांसद) और अश्विनी चौबे (बक्सर से सांसद) को मंत्री बनाया है। लेकिन दोनों ही नेता बीजेपी के हैं।
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बिहार से दो नेताओं को मंत्री बनाए जाने और जेडी-यू को नजरअंदाज किए जाने के फैसले ने बिहार की सियासत में नीतीश कुमार को लालू के निशाने पर ला खड़ा किया है, जो पहले से ही कुमार के एनडीए में शामिल होने के फैसले को लेकर हमलावर रहे हैं।
लालू यादव मौजूदा मंत्रिमंडल में कुमार की पार्टी को नजरअंदाज किए जाने का मुद्दा उठाते हुए मोर्चा खोल सकते हैं, जिसका जवाब देना पार्टी के लिए मुश्किल होगा वहीं मंत्रिमंडल विस्तार से पहले नीतीश कुमार को अंधेरे में रखा जाना, दोनों दलों के बीच 'भरोसे के संकट' को पैदा कर सकता है।
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