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भीमा-कोरेगांव केस : पांचों एक्टिविस्ट रहेंगे हाउस अरेस्ट, सुप्रीम कोर्ट का दखल देने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए केस में दखल देने से मना कर दिया. कोर्ट ने एसआईटी बनाने की मांग को भी खारिज कर दिया.

Updated on: 28 Sep 2018, 11:58 AM

नई दिल्ली:

भीमा-कोरेगांव मामले में पांच आरोपी एक्टिविस्ट नजरबंद रखे गए हैं. इस मामले में इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य ने विशेष जांच दल (SIT) से जांच की अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए केस में दखल देने से मना कर दिया. कोर्ट ने एसआईटी बनाने की मांग को भी खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यहां पर विचार न मिलने से गिरफ्तारी का मामला नहीं है. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी प्राथमिक आधार पर सबूतों के बाद की गई है. कोर्ट ने कहा कि यह गिरफ्तारी प्राथमिक तौर पर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माओवादी से संबंध होने के सबूतों के होने के आरोप के बाद की गई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों ने जांच पर कोई मांग नहीं की. 

कोर्ट का यह फैसला बहुमत से हुआ है. सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस जे एएम खानविलकर और जस्टिस जे डीआई चंद्रचूड़ की बेंच ने यह फैसला दिया है.लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस फैसले में अपनी राय अलग रखी है. उन्होंने कहा कि संविधान में दी गई आजादी बेमतलब रह जाएगा अगर सही जांच के बिना गिरफ्तारी की जाए. विपक्ष की आवाज को सिर्फ इसलिए नहीं दबाया जा सकता है क्योंकि वो आपसे सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट की निगरानी में SIT बननी चाहिए थी.

इसके साथ ही पांचों एक्टिविस्ट की हाउस अरेस्ट 4 हफ्तों के लिए बढ़ा दिया गया है, ताकि वो ट्रायल कोर्ट में उचित अपील दायर कर सकें.

दरअसल, पांचों एक्टिवस्ट वरवरा राव, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, वरनॉन गोंजाल्विस और गौतम नवलखा 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं. सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में इनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई थी. इसके साथ ही उनकी गिरफ्तारी मामले में SIT जांच की भी मांग की गई थी.

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इससे पहले प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 20 सितंबर को दोनों पक्षों के वकीलों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, हरीश साल्वे और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. तीन जजों की पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस को मामले में चल रही जांच से संबंधित अपनी केस डायरी पेश करने के लिये कहा.

बता दें कि पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ के सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा की घटना के बाद दर्ज एक एफआईआर के संबंध में महाराष्ट्र पुलिस ने इन्हें 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था.

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