विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दुविधा, तारीखें घोषित लेकिन ऊहापोह बरकरार
विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित हो चुकी हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं, लेकिन कांग्रेस की बात करें तो अभी भी सीट शेयरिंग गठबंधन को लेकर पार्टी के अंदर ऊहापोह की स्थिति है.
highlights
- पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान
- कांग्रेस में अभी तक सीट शेयरिंग फॉर्मूला ही तय नहीं
- बंगाल में राहुल गांधी नहीं ले रहे कोई दिलचल्पी
नई दिल्ली:
कांग्रेस (Congress) हर गुजरते चुनाव के साथ अपने वजूद के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है. केंद्र की मोदी सरकार को किसान आंदोलन (Farmers Protest) समेत बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगातार घेर रही कांग्रेस इस साल होने वाले पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कोई आक्रामक रुख अभी तक नहीं दिखा सकी है. दिक्कत यही नहीं है, बल्कि इन राज्यों में कांग्रेस के तरकश में ऐसे फायरब्रांड चेहरों का भी नितांत अभाव दिखता है, जो चुनौवी वैतरणी को पार कराने लायक निशाना लगाने में सक्षम हों. इस बीच शुक्रवार को चुनाव आयोग (Election Commission) ने पांच राज्यों में चुनावों के तारीख की घोषणा कर दी. इसके बाद सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं, लेकिन कांग्रेस की बात करें तो अभी भी सीट शेयरिंग गठबंधन को लेकर पार्टी के अंदर ऊहापोह की स्थिति है.
असम-केरल में मान रही खुद को मजबूत कांग्रेस
असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं. यह अलग बात है कि कांग्रेस उन्ही राज्यों में ज्यादा जोर लगा रही है जहां पार्टी सीधी लड़ाई में है. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी का संगठन केरल और असम में अभी भी मजबूत है. इन राज्यों में बूथ ब्लॉक स्तर तक कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और यहां कांग्रेस सीधी लड़ाई में है. असम में जहां इस बार कांग्रेस के सामने चेहरे का संकट है, तो वहीं केरल में सभी को एकजुट रखना पार्टी के सबसे बड़ी चुनौती है.
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तमिलनाडु में डीएमके नहीं देगी ज्यादा सीटें
तमिलनाडु की बात करें तो डीएमके इस बार कांग्रेस को ज्यादा सीट देने की मूड में नहीं दिख रही. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 41 सीट पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार डीएमके कांग्रेस को 25 से अधिक सीट नहीं देना चाहती और यही वजह है कि कांग्रेस डीएमके पर दबाव बनाने के लिए राहुल गांधी की ज्यादा से ज्यादा रैली और सम्मेलन तमिलनाडु में करवा रही है. संभवतः यही वजह है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार से एक बार फिर तीन दिवसीय दौरे पर तमिलनाडु में होंगे.
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पश्चिम बंगाल में लेफ्ट से पूर्ण सहमति नहीं
कांग्रेस सूत्रों ने यह भी बताया कि अगर डीएमके पार्टी को सम्मानजनक सीट नहीं देती है तो कांग्रेस अलग चुनाव लडने पर भी विचार कर सकती है. पश्चिम बंगाल में भी कमोबेश यही हालत हैं. गठबंधन की घोषणा होने के बाद भी कांग्रेस-लेफ्ट के बीच सीटों पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है और वही राहुल गांधी के पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ चुनाव प्रचार को लेकर अभी भी तस्वीर साफ नहीं है. अगर देखें तो साफ है कि राहुल गांधी चार चुनावी राज्यों में प्रचार तो कर रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल से दूरी बनाई हुई है.
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