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पंचतत्व में विलीन हुए राज्यसभा सदस्य अमर सिंह, दिल्ली में किया गया अंतिम संस्कार

कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू नियमों की वजह से उनका अंतिम संस्कार सीमित लोगों की उपस्थिति में हुआ. इस मौके पर अभिनेत्री से राजनेता बनी जया प्रदा भी मौजूदा रहीं

Updated on: 03 Aug 2020, 05:20 PM

नई दिल्‍ली:

राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के पार्थिव शरीर का सोमवार को दिल्ली के छतरपुर श्मशान घाट में उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया. दो दिन पहले उनकी सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. अंतिम संस्कार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर हुआ और उनकी दोनों बेटियों ने चिता को मुखाग्नि दी. कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू नियमों की वजह से उनका अंतिम संस्कार सीमित लोगों की उपस्थिति में हुआ. इस मौके पर अभिनेत्री से राजनेता बनी जया प्रदा भी मौजूदा रहीं जो उन्हें अपना गॉडफादर मानती हैं.

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और जया प्रदा उन लोगों में शामिल रहे जिन्होंने पूर्व समाजवादी पार्टी नेता के छतरपुर स्थित फार्महाउस पर जाकर सबसे पहले श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर सिंह की पत्नी पंकजा सिंह और दोनों बेटियां मौजूद थीं. अमर सिंह का पार्थिव शरीर रविवार शाम को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था. उल्लेखनीय है कि 64 वर्षीय अमर सिंह का गत छह महीने से सिंगापुर के अस्पताल में इलाज चल रहा था और वर्ष 2013 में उनके गुर्दे का प्रतिरोपण भी हुआ था. 

इसके पहले रविवार की रात को उनका शव चार्टर्ड विमान से सिंगापुर से दिल्ली लाया गया था. शनिवार को राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन हो गया था. अमर सिंह पिछले कुछ दिनों से काफी बीमार चल रहे थे. कुछ समय पहले उनको किडनी की समस्या हुई थी जिसकी वजह से उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अमर सिंह के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा था. पिछले दिनों अमर सिंह ने एक वीडियो सोशल मीडिया में जारी कर इस बात की जानकारी दी थी कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है जिसकी वजह से वो इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं जल्द ही वो स्वस्थ्य होकर वापसी करेंगे.

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कभी मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी थे अमर सिंह 
आपको बता दें कि 64 वर्षीय दिवंगत नेता अमर सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत तो कांग्रेस से की थी लेकिन उन्हें पहचान समाजवादी पार्टी से मिली थी. एक जमाना था जब अमर सिंह सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी माने जाते थे. समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत मुलायम सिंह के बाद दूसरे नंबर पर होती थी. हालांकि बाद में ऐसा दिन भी आया जब अमर सिंह को भी समाजवादी पार्टी से निकाला गया.  जीवन के आखिर के दिनों में वो भारतीय जनता पार्टी से नजदीकियां बढ़ा रहे थे वो पीएम मोदी की जमकर तारीफ करते थे. भारतीय राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह की उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार में तूती बोलती थी. बिना उनकी सहमति के एक भी फैसले नहीं हुआ करते थे. केंद्र की यूपीए-1 सरकार को बचाने में भी उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी.

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यूपी के आजमगढ़ जिले रहने वाले थे अमर सिंह 
अमर सिंह यूपी के आजमगढ़ जिले के तरवां गांव के रहने वाले थे उनका जन्म 27 जनवरी, 1956 को अलीगढ़ में हुआ था. उनके पिता ताले बनाने का एक छोटा-सा कारोबार चलाते थे. जब अमर महज छह साल के थे, उनका परिवार कोलकाता के बड़ा बाजार में जाकर बस गया था. अपने परिवार की बनिस्बतन विनम्र पृष्ठभूमि अमर सिंह के लिए खासी अहम रही. उनके खुद के गढ़े गए मिथकों में से एक यह है कि उन्हें शंकालुओं से प्रेरणा मिलती थी, वे नफरत से भी उतने ही प्रेरित होते थे जितने प्यार से.उनके मुताबिक सबसे पहले उनके पिता ने ही उन पर संदेह किया था. उन्हें लगता था कि उनका बेटा 'सेंट जेवियर्स या प्रेसिडेंसी सरीखे अच्छे कॉलेज' में दाखिले की सोचकर अपनी अहमियत को कुछ ज्यादा ही आंक रहा है.

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मुलायम सिंह के चहेते बन गए थे अमर सिंह
अमर सिंह की मुलाकात मुलायम सिंह से 1996 में हुई. मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी चार से पांच साल पुरानी थी. इसमे शामिल ज्यादातर लोग ग्रामीण परिवेश से जुड़े थे. मुलायम सिंह को 40 के अमर सिंह की युवा सोच और कनेक्शन भा गया.मुलायम सिंह ने अमर सिंह को अपनी पार्टी का प्रवक्ता बना दिया. राज बब्बर, आजम खान, रामगोपाल यादव, बेनी प्रसाद वर्मा सबको पछाड़कर अमर सिंह मुलायम के चहेते बन गए.समाजवादी पार्टी ग्रामीण परिवेश से निकल कर बॉलीवुड, कॉर्पोरेट और न जाने किस-किस से अमर सिंह के ताल्लुकात बढ़ते चले गए. अमर सिंह सुपर स्टार बन गए.

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2008 में मनमोहन सरकार की मदद की
2008 में भारत की न्यूक्लियर डील के दौरान वामपंथी दलों ने समर्थन वापस लेकर मनमोहन सिंह सरकार को अल्पमत में ला दिया. तब अमर सिंह ने ही समाजवादी सांसदों के साथ-साथ कई निर्दलीय सांसदों को भी सरकार के पाले में ला खड़ा किया. मध्यवर्ग का एक सीधा-सादा लड़का अमर सिंह गैट्सबी सरीखी शख्सियत बन गया, जो अपनी चौंधियाने वाली पार्टियों और अपनी रहस्यमयी दौलत के लिए मशहूर था. वह दौलत जो जाहिर तौर पर उद्योग और निवेश की सूझबूझ से आई थी.

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2011 में अमर सिंह का पतन होने लगा
संसद में नोटों की गड्ढी लहराने का मामला भी सामने आया और इस मामले में अमर सिंह को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा. अमर सिंह 2009 में फलक से इसलिए गायब हो गए थे क्योंकि उनके अपने शब्दों में वे 'दागदार' थे. सपा ने उन्हें और उनकी साथी जया प्रदा को पार्टी से निकाल दिया था. 2011 में वे उस वक्त पतन के गर्त में चले गए जब तथाकथित 'वोट फॉर कैश' घोटाले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.