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लोकसभा में पास मेंटल हेल्थकेयर बिल 2016, आत्महत्या अब अपराध की श्रेणी में नहीं

लोकसभा में सोमवार को 'मेंटल हेल्थकेयर बिल-2016' ध्वनिमत से पारित हो गया।

Updated on: 27 Mar 2017, 10:43 PM

highlights

  • लोकसभा ने ध्वनिमत से पास किया मेंटल हेल्थकेयर बिल-2016
  •  120 से ज्यादा संशोधनों के साथ पारित किया गया, RS में पहले से ही पास 
  • बिल के तहत आत्महत्या अपराध की श्रेणी से बाहर, मानसिक बीमारी है ये 

नई दिल्ली:

लोकसभा में सोमवार को 'मेंटल हेल्थकेयर बिल-2016' ध्वनिमत से पारित हो गया। यह बिल राज्यसभा में आठ अगस्त 2016 को ही पास हो गया था। बिल को 120 से ज्यादा संशोधनों के साथ पारित किया गया है। बिल में मानसिक रोगियो की परिभाषा और उन्हे अब तक उपलब्ध उपचार की व्यवस्था में बदलाव के प्रावधान किए गए है। 

 

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बिल की खास बातें

  • आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रावधान किया गया है।
  • बिल के अनुसार, मानसिक रोग से पीड़ित बच्चे को उसकी मां से तब तक अलग नहीं किया जाएगा, जब तक बहुत जरूरी ना हो। वहीं मानिसक रूप से अस्वस्थ मां से 3 वर्ष तक की आयु के बच्चे को अलग करने के लिए ठोस कारण बताने का प्रावधान जोड़ा गया है।
  • मानसिक रोगियों की नसबंदी तथा आपात स्थितियों में उनका इलाज बिजली के झटकों से करने पर रोक की व्यवस्था है। बिना रोगी की इच्छा के उसपर किसी तरह का इलाज जबरन नहीं थोपा जा सकेगा।

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बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा,' अब देश में मानसिक रोगियों को उपेक्षा और सामाजिक दंश का शिकार नहीं होना पड़ेगा, उनका इलाज अलग थलग बंद कमरों में करने की बजाए सामुदायिक माहौल में करने की व्यवस्था होगी।'

बिल के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कानूनी व्यवस्था की गई है, जिसका उल्लंघन करने वालों के लिए जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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