किसान नेताओं को केंद्र का दो टूक- वापस नहीं होंगे कृषि कानून, कोई अन्य विकल्प बताएं
नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार किसानों से बात करने को तैयार है. कृषि कानूनों को निरस्त करने के अलावा, यदि कोई किसान संघ किसी भी समय कानूनों के प्रावधानों के बारे में बात करना चाहता है, तो मैं उसका स्वागत करूंगा
highlights
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से बात करने को तैयार
- सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानून वापसी पर कोई विचार नहीं होगा
- नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध को करीब 200 दिन हो गए हैं
नई दिल्ली:
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर अपनी मंशा जाहिर कर दी है. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून वापसी पर कोई विचार नहीं होगा, अगर किसान नेताओं के पास कोई दूसरा रास्ता है तो बताएं. कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार किसानों से बात करने को तैयार है. कृषि कानूनों को निरस्त करने के अलावा, यदि कोई किसान संघ किसी भी समय कानूनों के प्रावधानों के बारे में बात करना चाहता है, तो मैं उसका स्वागत करूंगा. वहीं, केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध को करीब 200 दिन हो गए हैं और अपने आंदोलन को तेज करने के लिए किसानों ने देश भर के राजभवन में 26 जून को धरना देने की घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक नेता ने शुक्रवार को कहा, "26 जून को किसानों का विरोध प्रदर्शन होगा और काले झंडे दिखाए जाएंगे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी भेजा जाएगा।"
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"कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस"
भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता धर्मेंद्र मलिक ने आईएएनएस को बताया कि 26 जून को "कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस" के रूप में मनाया जाएगा। वहीं, राजभवन में काले झंडे दिखाकर और हर राज्य में राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर 'हम अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे।' किसान नेताओं के मुताबिक 26 जून को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगई थी। उन्होंने कहा, "आज भी मोदी सरकार ने देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया है।" इस बीच, किसानों ने सीमा पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। किसानों के मुताबिक शनिवार तक आंदोलन स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कमेटी गठित कर दी जाएगी।
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आपको बता दें कि हरियाणा, पंजाब और वेस्ट यूपी के लाखों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के टीकरी, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर मोर्चा संभाले बैठे हैं. किसान नेताओं ने इन कानूनों को किसान विरोधी करार दिया है. किसान नेताओं को कहना है कि केंद्र इन कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए.
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