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बाढ़ से मुरेंडा में बनी प्राकृतिक झील, 4 स्थानों से शुरू होगा सर्च ऑपरेशन

मुरेंडा में बाढ़ के बाद बनी कृत्रिम झील के बीच उत्तराखंड प्रशासन ने अब प्रभावित क्षेत्रों में 4 अलग अलग साइट पर सर्च अभियान (Search Operation) चलाने का निर्देश दिया है.

Updated on: 18 Feb 2021, 07:59 AM

highlights

  • मुरेंडा इलाके में एक प्राकृतिक झील बन गई है
  • 4 अलग-अलग स्थानों से होगा सर्च ऑपरेशन
  • बचाय कार्य पर लगातार हो रही हैं बैठकें

नई दिल्ली:

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले में कहर बरपाने वाली बाढ़ के बाद मुरेंडा इलाके में एक प्राकृतिक झील बन गई है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की टीम बुधवार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अधिकारियों के साथ पहुंची, जहां प्राकृतिक झील बनी है. आईटीबीपी के एक अधिकारी ने कहा कि टीम ने एक हेलीपैड बनाने के लिए एक स्थान का चयन करने के अलावा झील के पास अपना आधार शिविर बनाया है. इस बीच उत्तराखंड के आपदा ग्रस्त क्षेत्र से अभी तक 59 शव बरामद किए गए. इनमें से 30 मानव शव तथा एक मानव अंग की पहचान हुई है. उत्तराखंड प्रशासन ने अब प्रभावित क्षेत्रों में 4 अलग अलग साइट पर सर्च अभियान (Search Operation) चलाने का निर्देश दिया है. 

पानी की झील की निगाहबीनी जारी
एयर क्रू का मार्गदर्शन करने के लिए हेलीपैड को उचित मार्किंग और अन्य सामग्रियों के साथ विकसित किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि डीआरडीओ टीम के साथ आईटीबीपी के दल ने दिन में झील क्षेत्र की रेकी की. आईटीबीपी अधिकारी ने कहा कि टीम हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा के कारण बनी प्राकृत्रिक झील के खतरे के स्तर तक पहुंचने के लिए झील के सही स्थान की निगरानी करेगी. अधिकारी ने यह भी कहा कि आईटीबीपी की टीम झील के पानी के निर्बाध तरीके से प्रवाह के रास्ते खोल रही है. गौरतलब है कि 7 फरवरी को एक हिमस्खलन के कारण भयंकर बाढ़ ने धौली गंगा नदी पर तपोवन में 520 मेगावाट की एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना को ध्वस्त कर दिया था. हिमस्खलन ने लगभग 14 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर किया, जिससे चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आ गई.

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अब 4 अलग-अलग साइट पर सर्च आपरेशन
इस बीच उत्तराखंड के आपदा ग्रस्त क्षेत्र से अभी तक 59 शव बरामद किए गए. इनमें से 30 मानव शव तथा एक मानव अंग की पहचान हुई है. वहीं अभी तक मृत पाए गए 27 व्यक्तियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है. उत्तराखंड प्रशासन में अब प्रभावित क्षेत्रों में 4 अलग अलग साइट पर सर्च अभियान चलाने का निर्देश दिया है. साथ ही नदी किनारे पड़े मलवा में भी एप्रोच बनाकर लापता लोगों की सर्च करने के आदेश जारी किए गए हैं. उत्तराखंड त्रासदी के उपरांत अभी तक राज्य सरकार की मदद से विशेषज्ञ डॉक्टरों ने 56 मृतकों के डीएनए लिए हैं. राज्य सरकार के मुताबिक राहत एवं बचाव अभियान अभी भी युद्ध स्तर पर जारी है और इस दौरान यहां से एवं 22 मानव अंग भी मिले हैं. उत्तराखंड सरकार के मुताबिक श्रेणी एवं तपोवन क्षेत्र में अभी भी 146 लापता लोगों की तलाश जारी है.

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मलवे में भी खोजे जाएंगे लापता लोग
बुधवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र की जिला मजिस्ट्रेट स्वाति एस भदौरिया ने रैणी में चलाए जा रहे रेस्क्यू कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया. उन्होंने स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों व लापता लोगों के परिजनों से बातचीत कर, बताए गए स्थलों पर संबंधित अधिकारी को 4 अलग- अलग साइट पर सर्च अभियान चलाने के दिशा निर्देश दिए. कहा कि नदी किनारे पड़े मलवा में भी एप्रोच बनाकर सर्च करें. इसके साथ ही बीआरओ के समीक्षा के दौरान रैणी में बेलीब्रीज निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए. इसके अलावा उन्होंने लोनिवि, जलसंस्थन, विद्युत, संचार कार्य प्रगति की जानकारी लेते हुए संबंधित अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं.

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बचाव कार्य पर उच्चाधिकारियों की बैठक
गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन ने भी को आईआरएस कैंप कार्यालय में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य को लेकर जिला मजिस्ट्रेट स्वाति एस भदौरिया एवं संबंधित अधिकारी के साथ समीक्षा बैठक की है. रैणी क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी लेते हुए, आईटीबीपी, एनडीआरएफ व जिला प्रशासन के टीम को युद्ध स्तर पर रेस्क्यू कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. आवश्यकता पड़ने पर मशीनों की संख्या बढ़ाने को कहा गया है.