मोदी सरकार ने दे दी थी भारतीय सेना को खुली छूट, इससे LAC पर पलटी बाजी
चीनी सेना की इस कदम वापसी की वजह कूटनीतिक-सैन्य स्तर की बातचीत से कहीं ज्यादा भारतीय सैनिकों को मिली खुली छूट है, जिसने वास्तविक नियंत्रण (LAC) रेखा पर बाजी उलट दी.
highlights
- भारतीय सेना को मिली खुली छूट ने पलटी बाजी
- सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा
- फिर बातचीत की मेज पर चीन का रुख पड़ा नरम
नई दिल्ली:
पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में हिंसक झड़प के बावजूद भारत-चीन (India-China) के बीच तनाव रूपी हिमखंड के पिघलने के पीछे मोदी सरकार (Modi Government) का कड़ा दो टूक रवैया कारगर रहा है. सामरिक लिहाज से संवेदनशील इलाकों से चीनी सेना की वापसी शुरू हो गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के लोकसभा में बयान से एक दिन पहले से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने वापसी शुरू कर दी थी. यह कवायद बीते नौ माह से जारी तनाव के मद्देनजर भारी राहत भरी थी. भारतीय सीमा में फिंगर 4 तक घुस आए चीनी सैनिकों को अब वापस जाना पड़ा. विशेषज्ञों की मानें तो चीनी सेना की इस कदम वापसी की वजह कूटनीतिक-सैन्य स्तर की बातचीत से कहीं ज्यादा भारतीय सैनिकों को मिली खुली छूट है, जिसने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बाजी उलट दी. बाजी भी ऐसी-वैसी नहीं, दुनिया हैरान है कि आक्रामक चीन किस तरह भारत के तेवरों के आगे कदम वापसी करने पर मजबूर हुआ.
ऊपर से सेना को दे दी गई थी खुली छूट
चीनी सेना की वापसी के जिम्मेदार कारणों का खुलासा भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट वाईके जोशी ने एक साक्षात्कार में किया. उन्होंने बताया कि चीन भारतीय क्षेत्र में फिंगर-4 तक आ पहुंचा था. गलवान में हिंसक झड़प भी हो चुकी थी. इसके अलावा बातचीत की मेज पर भी चीन का पलड़ा भारी था. ऐसे में बातचीत से जब सफलता मिलती दिखाई नहीं दी तब सेना को ऊपर से खास निर्देश मिले. इन निर्देशों में कुछ ऐसा करने को कहा गया था, जिससे चीन पर दबाव बने. जोशी ने बताया कि सेना को ऊपर से खुली छूट मिल चुकी थी कि जो ऑपरेशन चलाना है... चलाइए. इस दो-टूक निर्देश के बाद 29-30 अगस्त की दरमियानी रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर रेजांग ला और रेचिन ला पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा कर लिया. इस तरह भारतीय फौज दबाव डालने की स्थिति में आ गई. इसके बाद जब अगले दौर की बातचीत हुई तो भारत का पलड़ा भारी था. हालांकि इस दौरान ऐसा वक्त भी आया जब लगा कि अब दोनों देशों में युद्ध हो सकता है.
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युद्ध के हालात बन गए थे
जोशी ने बताया कि 30 अगस्त को जब भारतीय सैनिकों ने रेजांग ला और रेचिन ला पर कब्जा कर लिया, तब चीनी सेना कैलाश रेंज में आमने-सामने आना चाहती थी. इसके अलावा भारतीय सैनिकों को भी किसी भी ऑपरेशन के लिए खुली छूट मिल चुकी थी. जोशी ने कहा कि ऐसे हालात में जब दुश्मन देश के सैनिकों को अपनी ओर आते देखते हैं तो युद्ध की संभावना प्रबल हो जाती है. उन्होंने कहा कि हम एकदम युद्ध की कगार पर ही खड़े थे. वह वक्त हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था. यह अलग बात है कि सामरिक दृष्टि से भारतीय सेना की एक बढ़त ने एलएसी पर बाजी पलट दी. गौरतलब है कि लंबे तनावपूर्ण माहौल के बाद पूर्वी लद्दाख के विवादित इलाके से चीनी और भारतीय सैनिक वापस लौटने लगी हैं. यथास्थिति बरकरार रखने के लिए राजी होने के बाद चीन ने वहां अपने अस्थायी निर्माण को भी हटाना शुरू कर दिया है.
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