तालिबान विरोधी प्रदर्शन को कवर करने पर अफगान पत्रकारों को पीटा गया
तालिबान विरोधी प्रदर्शन को कवर करने पर अफगान पत्रकारों को पीटा गया
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान में तालिबान के अधिकारी पत्रकारों को हिरासत में ले रहे हैं और उन पर हमला कर रहे हैं तथा मीडिया के काम पर नए प्रतिबंध लगा रहे हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने यह बात कही है।तालिबान से हमलों को रोकने, प्रतिबंध हटाने और प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के खिलाफ दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार तालिबान सदस्यों को उचित रूप से दंडित करने के लिए मांग बढ़ रही है।
7 सितंबर को तालिबान सुरक्षा बलों ने काबुल स्थित मीडिया आउटलेट एतिलात-ए-रोज के दोनों पत्रकारों तकी दरयाबी और नेमत नकदी को हिरासत में लिया था। पत्रकार तालिबान द्वारा महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के उल्लंघन पर उनकी मांगों को लेकर काबुल में महिलाओं द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे।
एतिलात-ए-रोज ने बताया कि तालिबान के अधिकारी दो लोगों को काबुल के एक पुलिस स्टेशन में ले गए, उन्हें अलग-अलग कक्षों में रखा और उन्हें केबल (तार) से बुरी तरह पीटा। दोनों पुरुषों को अगले दिन रिहा कर दिया गया, जिसके बाद उनकी पीठ और चेहरे पर लगी चोटों की वजह से उन्हें अस्पताल में इलाज कराना पड़ा।
ह्यूमन राइट्स वॉच की एसोसिएट एशिया डायरेक्टर पेट्रीसिया गॉसमैन ने कहा, तालिबान अधिकारियों ने दावा किया कि वे मीडिया को तब तक ही काम करने देंगे, जब तक वे इस्लामी मूल्यों का सम्मान करते हैं, लेकिन वे पत्रकारों को प्रदर्शनों पर रिपोटिर्ंग करने से रोक रहे हैं। तालिबान को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सभी पत्रकार अपमानजनक प्रतिबंधों या प्रतिशोध के डर के बिना अपना काम करने में सक्षम हों।
तालिबान अधिकारियों ने 7 सितंबर को टोलो न्यूज के फोटो जर्नलिस्ट वाहिद अहमदी को भी हिरासत में लिया और उसी दिन रिहा कर दिया। उन्होंने उसका कैमरा जब्त कर लिया और अन्य पत्रकारों को विरोध को फिल्माने से रोक दिया।
सितंबर की शुरूआत से, कई शहरों में अफगान महिलाएं और लड़कियां तालिबान द्वारा महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, जिसमें उनके शिक्षा के अधिकार और रोजगार तक पहुंच से इनकार भी शामिल है।
महिलाओं ने इन विरोधों का नेतृत्व किया है, लेकिन तेजी से पुरुष भी इनमें शामिल हो गए हैं। 7 सितंबर को, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों - दोनों महिलाओं और पुरुषों - ने तालिबान की आलोचना के नारे लगाते हुए काबुल में मार्च किया था।
तालिबान सुरक्षा बलों ने इन हालिया प्रदर्शनों में से अधिकांश को प्रदर्शनकारियों की पिटाई, कैमरों को जब्त और क्षतिग्रस्त करके और पत्रकारों को धमकाकर बाधित किया है।
7 सितंबर को तालिबान ने घोषणा की थी कि जब तक पहले से मंजूरी नहीं दी जाती, तब तक सामान्य तौर पर विरोध प्रदर्शन अवैध हैं।
हालांकि, विरोध प्रदर्शनों को कवर करने वाले कुछ पत्रकारों ने कहा है कि तालिबान अधिकारियों ने उन्हें बताया है कि विरोध पर रिपोटिर्ंग करना भी अब अवैध है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि तालिबान कमांडर और लड़ाके लंबे समय से मीडिया के सदस्यों के खिलाफ धमकियों, डराने-धमकाने और हिंसा के एक पैटर्न में लगे हुए हैं और पत्रकारों की लक्षित हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून पत्रकारों को हिरासत में लेने और मीडिया आउटलेट्स पर प्रतिबंध लगाने सहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों पर मनमाने प्रतिबंधों को प्रतिबंधित करता है।
गॉसमैन ने कहा कि तालिबान अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शांतिपूर्ण विरोध और महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए हर किसी के अधिकार का सम्मान करने और बनाए रखने के लिए बाध्य होना चाहिए। संबंधित सरकारों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण एकजुटता की रक्षा के लिए तालिबान पर दबाव डालना चाहिए।
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