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‘अभिजीत बनर्जी ने कांग्रेस के रचनात्मक सुझावों पर मुहर लगाई ’

कांग्रेस ने राहुल गांधी और जानेमाने अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी के बीच संवाद के बाद मंगलवार को कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता बनर्जी ने उसके और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार को दिए गए सुझावों के रचनात्मक एवं सटी

Updated on: 05 May 2020, 03:19 PM

दिल्ली:

कांग्रेस ने राहुल गांधी और जानेमाने अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी के बीच संवाद के बाद मंगलवार को कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता बनर्जी ने उसके और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार को दिए गए सुझावों के रचनात्मक एवं सटीक होने पर अपनी मुहर लगाई है. राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान बनर्जी ने कोरोना संकट की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बड़े प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के हाथों में पैसे भी पहुंचाने होंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि जरूरतमंदों के लिए तीन महीने तक अस्थायी राशन कार्ड मुहैया कराने, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की मदद करने और प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है. राहुल गांधी और बनर्जी के बीच संवाद पर कांग्रेस प्रवक्ता सुष्मिता देव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभिजीत बनर्जी ने उन सारी बातों पर मुहर लगाई है जो कांग्रेस, सोनिया जी और राहुल जी लगातार कहते आ रहे हैं. प्रवासी मजदूरों की मदद, बिना राशन कार्ड वालों को भी राशन देना और ‘न्याय’ योजना की तर्ज पर लोगों के खाते में पैसे भेजने के सुझाव हम देते आ रहे हैं.’’

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सुष्मिता ने कहा कि ‘न्याय’ योजना लागू करने की बात का भी बनर्जी ने पूरा समर्थन किया है. उनके मुताबिक नोबेल विजेता अर्थशास्त्री ने कांग्रेस की इस राय पर भी सहमति जताई है कि संकट से निपटने के संदर्भ में राज्यों को पूरा अधिकार मिलना चाहिए. एक तरह से उन्होंने विकेंद्रीकरण की पैरोकारी की. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रवासी मजदूरों, बिना राशन कार्ड वालों की मदद, राज्यों को वित्तीय पैकेज, एमएसएमई क्षेत्र की मदद और लोगों के खातों में 7500 में रुपये डालने का सुझाव कई बार सरकार को दे चुके हैं.

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सुष्मिता ने कहा, ‘‘अभिजीत बनर्जी ने स्पष्ट किया कि किसी मजबूत नेता अथवा ‘वन मैन शो’ के जरिए कोरोना संकट से निपट पाना मुमकिन नहीं है. यह मोदी जी के लिए यह संदेश है.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और सरकार को बनर्जी और अन्य अर्थशास्त्रियों की राय सुननी चाहिए. दरअसल, बनर्जी ने कोरोना संकट में ‘मजबूत नेतृत्व’ की भूमिका से जुड़े सवाल पर कहा, ‘‘यह (मजबूत नेतृत्व की धारणा) विनाशकारी है. अमेरिका और ब्राजील दो ऐसे देश हैं, जहां स्थिति बुरी तरह गड़बड़ हो रही है। ये दो तथाकथित मजबूत नेता हैं, जो सब कुछ जानने का दिखावा करते हैं, लेकिन वे जो भी कहते हैं, वो हास्यास्पद होता है.’’ उन्होंने कहा कि अगर कोई "मजबूत व्यक्ति" के सिद्धांत पर विश्वास करता है तो यह समय अपने आप को इस गलतफहमी से बचाने का है.